आजमगढ़: लक्षण नजर आने पर कराएं टीबी की जाँच-मंजूला

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Report- Shailendra sharma

आजमगढ़। खांसी और बुखार होना कोरोना नहीं लेकिन लापरवाह होना घातक हो सकता है। यह बात उन महिलाओं को आगाह करती है जो गर्भावस्था में हैं। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का जोखिम बना रहता है इसलिए इस दौरान किसी भी तरह के लक्षण को अनदेखा न करें, क्योंकि इसका असर भ्रूण पर भी पड़ सकता है। ऐसे में अगर किसी गर्भवती को ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) यानि तपेदिक रोग हो जाए, तो यह चिंता का विषय बन सकता है। जिला महिला चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षिका डॉ मंजूला सिंह ने बताया कि गर्भावस्था के समय शरीर में हो रहे हर छोटी-बड़ी समस्या के प्रति सचेत रहने की जरूरत हैद्य कोरोना और टीबी सामान्य लक्षण होने के कारण टीबी से जुड़ी जानकारी का होना बेहद जरूरी है। डॉ सचान का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान ट्यूबरकुलोसिस में कई तरह के जांच की सलाह दी जाती है, जिनकी मदद से टीबी से जुड़ी जानकारी मिल जाती है। अगर इन जांचों के बाद गर्भवती महिला में टीबी का पता चल जाता है, तो इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए। सभी सरकारी अस्पतालों में निरूशुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध है।
एसिड फास्ट बेसिलस टेस्ट- डॉ मंजूला सिंह ने कहा कि यह जांच टीबी के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर की जाती है। इस जांच में बलगम में मौजूद टीबी के बैक्टीरिया का पता चलता है।
ट्यूबरकुलिन स्किन टेस्ट-उन्होने बताया कि टीबी की जांच करने के लिए दो तरह के स्किन टेस्ट कर सकते हैं। पहला टाइन टेस्ट और दूसरा मैनटॉक्स टेस्ट है। इन दोनों टेस्ट को बलगम की जांच के बाद किया जा सकता है।
ब्लड टेस्ट-गर्भावस्था में टीबी के बारे में जानने के लिए रक्त की जांच कराने की भी सलाह दी जाती हैं। गर्भावस्था के दौरान टीबी होने के लक्षण दिखने पर तुरंत जांच व इलाज कराएं। 
गर्भावस्था के समय अगर दिखाई दे ऐसे लक्षण-दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होना, रात में पसीना आना, वजन कम होना, प्रेगनेंसी में सीने में दर्द या सांस की तकलीफ, गर्भावस्था में बुखार आना, बहुत थकान या बेचैनी होना। इन कारणों से शिशु को भी नुकसान हो सकता है, जो जन्म के बाद नवजात में कई लक्षण देखे जा सकते हैं जैसे - जन्म के समय शिशु का वजन कम होना,टीबी के कारण समय से पहले जन्म, शिशु का जन्म होना, शिशु जन्म के समय से ही टीबी इंफेक्शन से संक्रमित होना, जन्मजात लिवर और श्वसन की समस्या, गर्भनाल से टीबी इंफेक्शन होना। हेपेटोसप्लेनोमेगाली यानी लिवर और स्प्लीन संबंधी समस्या, श्वसन से जुड़ी परेशानी, टीबी के कारण नवजात शिशु को बुखार होना के साथ ही शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ परवेज अख्तर ने बताया कि ट्यूबरकुलोसिस बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया से होती है जो आमतौर पर लंग्स यानि फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। इस रोग का असर धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों पर इसका प्रभाव पड़ने लगता है। गर्भावस्था के दौरान टीबी हो जाने पर तुरंत इलाज करवाना चाहिए । ऐसा न करने से टीबी का असर गर्भवती के साथ ही होने वाले शिशु पर भी पड़ सकता है। जो शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को टीबी लक्षण के प्रति जागरूक रहना चाहिए। किसी भी तरह के लक्षण नजर आने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर टीबी की निःशुल्क जांच सुविधा मौजूद है।

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