आजमगढ़। शहर के खत्री टोला मुहल्ला निवासी दो सगे भाइयों की बृहस्पतिवार की रात इलाज के अभाव में मौत हो गई। उनको न तो निजी अस्पताल में बेड मिला और न ही मेडिकल कालेज में। दौड़भाग करने के बाद परिजन उन्हें लेकर घर लौट आए और घर पर ही दोनों ने दम तोड़ दिया। परिवार में कोई पुरुष सदस्य कोई नहीं था। एक महिला व दो बच्चियां फोन कर गुहार लगाती रही लेकिन शव उठाने भी कोई नहीं आया। शुक्रवार की सुबह 10 बजे स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस ने राजघाट ले जाकर अंतिम संस्कार कराया। खत्री टोला मुहल्ला निवासी 65 और 55 साल के दो भाइयों को कई दिनों से बुखार हो रहा था और सांस भी फूल रही थी। दो भाइयों कोरोना से पीड़त थे। बड़े भाई की एक बेटी है, जिसकी शादी हो चुकी है। छोटे भाई की भी दो बेटियां ही हैं। बृहस्पतिवार हालत बिगड़ने लगी तो दोनों बच्चियां उनको लेकर लाइफ लाइन हास्पिटल पहुंची। वहां से उनको मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया। मेडिकल कालेज लेकर पहुंचने पर वहां डॉक्टर ने बेड न होने की बात कहते हुए वापस कर दिया। इसके बाद दोनों बच्चियां पिता व ताऊ को लेकर घर आ गईं। सीएमओ आदि कई अधिकारी को फोन कर बच्चियों ने इलाज की व्यवस्था करने की गुहार लगाई लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। रात में पहले बड़े भाई ने दम तोड़ दिया। इसकी जानकारी जब छोटे भाई को हुई तो डेढ़ दो घंटे बाद उनकी भी मौत हो गई। दोनों बच्चियां व उसकी मां दरवाजे पर खड़े होकर मदद गुहार लगाती रहीं लेकिन कोरोना के डर से कोई भी उनके घर नहीं पहुंचा। शवों को घाट तक पहुंचाने के लिए भी कोई तैयार नहीं था। बार फोन करने पर स्वास्थ्य विभाग ने कुछ पीपीई किट व एंबुलेंस की व्यवस्था कराई। इसके बाद वाराणसी से आए मृतक के साले के पुत्र व साथ काम करने वाले दो लोगों ने मिल कर दोनों मृतकों के बॉडी को थ्री लेयर पॉलिथिन में पैक किया और फिर एंबुलेंस में लाकर लादकर दोनों के शव को राजघाट ले गए। वहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनकी मौत कोरोना से हुई इसकी पुष्टि नहीं हो पाई, दोनों ने जांच भी नही कराई थी। लक्षण के आधार पर ही उनकी मौत का कारण कोरोना माना जा रहा है। उनकी मौत के बाद सभासद विशाल श्रीवास्तव व मुहल्ले के अन्य लोगों ने हो-हल्ला मचाने पर नगर पालिका की टीम पूरे मुहल्ले के साथ ही मृतकों के घर में सैनिटाइजेशन कराया गया।