कोरोना : बेड ने मिलने से थमीं विंग कमांडर की सांसें
By -Youth India Times
Sunday, April 25, 20212 minute read
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मरने से पहले अपने फेसबुक पर लिखा-प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी मेडिकल ड्यूटी ऑफिसर ने नहीं किया एडमिट चार से पांच अस्पताल गए, लेकिन बेड नहीं मिला, 1972 में पाकिस्तान को हराया लेकिन खुद सरकारी सिस्टम से हारे कानपुर। पाकिस्तान को नाको चने चबवाने वाले और 1972 की लड़ाई के हीरो रिटायर विंग कमांडर आरएस बाजपेई सिस्टम की नाकामी से कोरोना से जंग हार गए। अस्पताल व इलाज न मिलने से उनकी मौत हो गई। जिस एयरफोर्स अस्पताल के वे अधिकारी रहे, वहां भी उन्हें इलाज के लिए एडमिट नहीं किया गया। चार-पांच अन्य अस्पताल में चक्कर लगाने के बावजूद विंग कमांडर को एडमिट नहीं किया गया और उनका ऑक्सीजन लेवल लगातार नीचे गिरता गया। इस जाबांज सैनिक ने मरने से पहले अपने फेसबुक वॉल पर मिलिटरी हॉस्पिटल की पूरी कहानी और अपने दर्द को खुद बयां किया। पीएसी मोड़, श्याम नगर के रहने वाले रिटायर विंग कमांडर आरएस बाजपेई ने देश के लिए 30 साल तक एयरफोर्स में अपनी सेवा दी है। आरएस बाजपेई ने वर्ष 1972 में बांग्लादेश को अलग करने के लिए भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में अहम रोल अदा किया था। जब सेना पाकिस्तान में लाहौर तक पहुंच गई थी, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्देश पर विंग कमांडर आरएस बाजपेई ने ही पाकिस्तान में एयरफोर्स का नेतृत्व किया था। विंग कमांडर के अलावा उनकी पत्नी व बेटा भी कोविड पॉजिटिव हैं। दो दिन पहले विंग कमांडर आरएस बाजपेई का ऑक्सीजन लेवल 79 के नीचे आया तो वे इलाज के लिए सेवन एयरफोर्स हॉस्पिटल गए। मरने से पहले विंग कमांडर ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा कि पूरी स्थिति बताने व कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी ड्यूटी पर तैनात मेडिकल ड्यूटी ऑफिसर ने एडमिट नहीं किया। इसके बाद मजबूरन चार से पांच अस्पताल गए, लेकिन बेड नहीं मिला। विंग कमांडर ने फेसबुक वाल से यह कड़वा सच कर्नल के लिए लिखा है।