आज़मगढ़ : सूनी सड़कों पर दौड़ रही एम्बुलेंसे, श्मशान पर इन्तजार
By -Youth India Times
Saturday, May 01, 2021
0
नहीं मिल रहे हैं बेड तो कहीं है ऑक्सीजन की कमी, दोष किसका
कोरोना से मृत माँ के पास बैठी बेटी बोली शोर मत मचाओ मां सो रही है
-राजेश यादव
आजमगढ़। कोरोना महामारी का विकराल रूप आज पूरे देश में साफ दिखाई दे रहा है। कहीं आक्सीजन तो कहीं बेड की कमी से हो रही मौतें का सिलसिला जारी है। सूनी सड़कों पर दौड़ रही एंबुलेंस के अंदर कोई जिंदगी से जूझ रहा है तो किसी की अंतिम यात्रा के लिए ले जाया जा रहा है। शमशान में जलती चिताओं का समूह तो दूसरी तरफ अपनी बारी का इंतजार कर रही लाशें आज की भयावह स्थिति से अवगत करा रही हैं। बस एक शब्द सबकी जुबां पर सब कुछ भगवान भरोसे, धरती का भी भगवान स्थिति से हारा आखिर, दोष किसका? बता दें कि आज कोरोना एक भयंकर महामारी के रूप में पूरे देश को अपनी चपेट में ले चुका है, महामारी के चलते संसाधनों के अभाव में जहां लोगों की मौत हो रही है, वहीं सरकार द्वारा उठाए गए कदम नाकाफी साबित हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा मदद के लिए बार-बार गुहार लगाई जा रहे है। कुछ घटनाएं जो काफी मर्माहत और दिल दहला देने वाली हैं। आजमगढ़ जनपद में एक लाचार दोस्त जो अपने जिगरी दोस्त की जान बचाने के लिए अपनी आंखों में आंसू लिए सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगाता है, मदद तो मिलती है पर दोस्त नहीं....। अस्पताल में मौजूद उसके दोस्त के बच्चे जब पूछते है कि अंकल पापा की तबीयत कैसी है, पापा से मिलवा दीजिए, लाचार और भावुक वह सख्श उन बच्चों को ढांढस बंधाते हुए एकान्त में चला जाता है उसके दर्द उसकी आंखों से आंसू की धार बनकर निकलते रहते हैं। वहीं कोरोना से मृत मां के पास लेटी मासूम बेटी को जब परिजन बुलाते हैं तो बेटी चुप रहने का इशारा करते हुए कहती है बोलो मत मां सो रही है। गोरखपुर में जनप्रतिनिधियों के इलाज कराने के भरोसे पर कैम्पियरगंज कस्बे की टीचर कॉलोनी की अर्चना सिंह को एंबुलेंस में लेकर घरवाले 13 घंटे तक अस्पतालों के चक्कर काटते रहे लेकिन उन्हें बेड नहीं नसीब हो सका। थक हारकर परिवारीजन उन्हें घर ले गए। संक्रमण से जूझ रही अर्चना का ऑक्सीजन लेवल गिर जाने से हालत चिंताजनक है। महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक मां के शव के पास उसका डेढ़ साल का बच्चा दो दिनों तक बिलखता रहा लेकिन महामारी के डर से कोई भी उसके पास नहीं गया। इसके बाद पुलिस पहुंची और दो महिला कांस्टेबलों ने मासूम की मां की जिम्मेदारी निभाई। मौत का डर कहें या मानवता का ह्रास, दोष किसको दें, हर चेहरे पे डर और हर जुबान पर एक सवाल अपने और अपनों के साथ कल क्या होगा।