पंचायत के पैसे के सदुपयोग की दे दी जिम्मेदारी लखनऊ। महामारी के दौर में भी पंचायतीराज विभाग कागजी घोड़ा दौड़ा रहा है। जिन प्रधानों का अब तक शपथग्रहण नहीं हुआ है, उन्हें अंत्येष्टि के लिए स्वीकृत पांच हजार रुपये का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने का फरमान सुना दिया गया है। इससे नव निर्वाचित प्रधान असमंजस में हैं। दरअसल, प्रदेश के कई जिलों से कोविड संक्रमित या किसी अन्य कारण से मृत्यु होने पर शव को नदियों में बहाने की सूचना आ रही है। शासन ने किसी भी दशा में शवों को नदी में प्रवाहित न करने व अंतिम संस्कार के लिए अनुमन्य धनराशि का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी नव निर्वाचित ग्राम प्रधानों को सौंप दी है। अपर मुख्य सचिव पंचायती राज मनोज कुमार सिंह की ओर से जारी आदेश में कहा गया है ग्राम पंचायतों में नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान अपने क्षेत्र में यह सुनिश्चित करें कि शासन द्वारा अंतिम संस्कार के लिए अनुमन्य धनराशि का पूर्ण उपयोग हो व किसी भी दशा में शव नदी में प्रवाहित न किए जाएं। इस संबंध में क्षेत्र पंचायत सदस्यों व जिला पंचायत सदस्यों का भी सहयोग लेना सुनिश्चित किया जाए। राष्ट्रीय पंचायती राज ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश महासचिव श्याम नारायण शुक्ला का कहना है कि 12 दिन बीत चुके हैं, नव निर्वाचित ग्राम प्रधानों का शपथ नहीं कराया गया है। प्रधानों का पंचायत सेक्रेटरी के साथ बैंक खाता नहीं खुला है। ऐसे में नव निर्वाचित प्रधान किस तरह से राज्य वित्त या अन्य शासकीय मदों की धनराशि का उपयोग सुनिश्चित कर सकते हैं? शुक्ला का कहना है नवनिर्वाचित प्रधान सामाजिक जिम्मेदारी का अपनी सीमा में निर्वहन कर रहे हैं। वे तमाम जगह निजी संसाधनों से कोविड संक्रमण की लड़ाई में नेतृत्व दे रहे हैं। लेकिन जब ग्राम पंचायत में प्रशासक तैनात हैं और वित्तीय लेनदेन के लिए वे ही अधिकृत हैं तो फिर नव निर्वाचित प्रधान को किस तरह वित्तीय व्यवस्था के क्रियान्वयन के निर्देश दिए जा रहे हैं। इस तरह के आदेश से नव निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों के बीच सरकार की छवि खराब होती है। सरकार को सबसे पहले प्रधानों का शपथ कराना चाहिए।