दवा दुकानों पर लूटे जा रहे गरीब, जिम्मेदार बेखबर -वेदप्रकाश सिंह ‘लल्ला’ आजमगढ़। जिला प्रशासन कोविड-19 गाइडलाइन का पालन कराने का दावा तो कर रहा है लेकिन सच्चाई धरातल पर पूरी तरह विपरीत है। प्रशासन की शिथिलता के चलते मुनाफाखोरों की चांदी कट रही है। दवा की दुकानों पर हो रही लूट से प्रशासन पूरी तरह बेखबर है। इस वजह से आए दिन दुकानदार व ग्राहकों के बीच तू-तू मैं-मैं की बात आम हो गई है। वहीं इसके लिए जिम्मेदार लोग कुंभकरण निद्रा में लीन हैं। आपदा को अवसर में बदलने की बात केवल शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में तो और देखने को मिल रही है। दवा की पर्ची लेकर दुकान पर पहुंचे ग्राहक से जब प्रिंट पेट से भी अधिकतम वसूला जा रहा है तो विवाद होना लाजमी है। ऐसे में दुकानदार यह कहते नजर आ रहे हैं कि जब हमें थोक विक्रेता ही अधिक दाम लेकर दवा उपलब्ध करा रहा है तो हम क्या कर सकते हैं। टोकाटोकी करने पर मुनाफाखोरी में लगे दुकानदार दवा के लिए दुकानों की खाक छान रहे ग्राहक से आगे का रास्ता बताने से परहेज नहीं कर रहे। मजबूरी में अधिक दाम देकर दवा लेने को मजबूर लोग दुकानदार को कोसते हुए वापस लौटने को मजबूर हैं। शासन प्रशासन में नियुक्त ईमानदार अधिकारियों का भी टोटा है, तभी तो दवा दुकानदार इसका भरपूर लाभ उठा रहे हैं। या यह कहें कि आपदा काल में लोगों को लूटने वालों के लिए उन्हें प्रशासन की मौन स्वीकृति मिली है। इस घृणित कार्य को देख हमें गोंडा जनपद में तैनात रही सिटी मजिस्ट्रेट वंदना त्रिपाठी की यादें बरबस आ जाती हैं। पिछले वर्ष सरकार द्वारा लगाए गए लाकडाउन के दौरान गोंडा जिले में सिटी मजिस्ट्रेट पद पर तैनात रहीं वंदना त्रिपाठी ने ग्राहक का वेश बदलकर मुनाफाखोरी कर रहे कई दुकानदारों को कानून का पाठ पढ़ाते हुए उन्हें जेल के सीखचों के भीतर पहुंचा दिया। आज इस माहौल में ऐसे ही ईमानदार अधिकारियों की जरूरत है, जिनकी वजह से आम आदमी लुटने से बच जाए। देखते हैं गरीब कब तक लुटे जाते हैं और प्रशासन की नजर इस घिनौने कार्य पर कब पड़ती है।