मुरादाबाद। ठाकुरद्वारा पीआरवी में तैनात फर्जी सिपाही के पकड़े जाने के बाद से विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत के संबंध में जांच की जा रही है। पुलिस अफसरों को संदेह है, बिना विभागीय कर्मचारी के मिलीभगत से पांच साल तक किसी और का ड्यूटी करना संभव नहीं हैं। पुलिस ने इस मामले में दोनों आरोपित जीजा-साले को जेल भेज दिया हैं। लेकिन अभी भी इस खेल के असली गुनाहगार पुलिस की पकड़ से दूर हैं। पकड़े गए आरोपित पुलिस की पूछताछ में लगातार अफसरों को गुमराह करने का प्रयास करते रहे। लेकिन इसके बाद भी कुछ ऐसे तथ्य सामने आएं हैं, जिनसे यह संदेह जताया जा रहा है, कि इस मामले की भनक एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को थी। हालांकि जांच के संबंध में कोई भी अफसर खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं, लेकिन यह जरूर स्वीकार कर रहे हैं, यह हमारे सिस्टम में लगी सेंध का परिणाम हैं। साल 2011 बैच के सिपाही अनिल कुमार ने अपने स्थान पर साले सुनील को वर्दी पहनाकर बीते पांच साल से ड्यूटी करा रहा था। हालांकि पकड़े गए आरोपित सिपाही ने मीडिया के सामने अपनी कारगुजारियों को स्वीकार किया है। एसपी देहात विद्यासागर मिश्र ने बताया की जनपद के तैनात सिपाहियों के दस्तावेज का सत्यापन करने की कार्रवाई की जा रही है। इसके साथ ही विभागीय स्तर पर भी संदेह के दायरे में आने वालों की जांच की जा रही है। जो भी तथ्य जांच में सामने आएंगे,उसके अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। सत्यापन पर टिकी निगाहें-फर्जीवाड़े का यह मामला सामने आने के बाद पुलिस कर्मियों का सत्यापन कराया जा रहा है। इसकी शुरुआत भी कर दी गई है। पुलिस कर्मियों की अधिकारियों के सामने परेड कराई जा रही है। इस मामले में अब अफसर पूरी गंभीरता बरत रहे हैं।