आजमगढ़: विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षाओं पर लगा कदाचार का आरोप

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पूर्वांचल विश्वविद्यालय का मामला
परीक्षा नियंत्रक ने उड़ाका दल की एक टीम को किया निरस्त
-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’

आजमगढ़। नकल विहीन परीक्षा की मुखर पैरवी करने वाली भाजपा सरकार की सत्ता में ही जब परीक्षाओं की शुचिता पर सवाल खड़े होने लगे तो फिर प्रदेश सरकार के दावे की हकीकत पता चलती है। ताजा मामला पूर्वांचल विश्वविद्यालय से जुड़ा बताया गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गठित किए गए उड़ाका दल की टीम में शामिल महिला प्रोफेसर ने अपने टीम प्रभारी पर नकल रोकने के नाम पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाकर नकल विहीन परीक्षा के दावे की हवा निकाल दी है।

नगर के राजू पुर में सोमवार को आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान डीएवी पीजी कॉलेज में गृह विज्ञान की प्रवक्ता राजेश्वरी पांडे ने आरोप लगाया कि पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित स्नातक व स्नातकोत्तर की परीक्षा में नकल पर अंकुश लगाने के लिए चार टीमें गठित की गई थी जिनमें एक महिला टीम में मुझे शामिल किया गया था जिसकी संयोजक डीएवी पीजी कालेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ गीता सिंह को नामित किया गया था। महिला उड़ाका दल में मेरे साथ ही डा. इंदु श्रीवास्तव भी सदस्य नामित किया गया था। हमारी टीम द्वारा जनपद के कई परीक्षा केंद्रों पर नकल पकड़ी गई और इसके लिए टीम के संयोजक को कार्रवाई के लिए संस्तुति की गई लेकिन संयोजक द्वारा मानवीय दृष्टिकोण को आधार मानते हुए उन परीक्षा केंद्रों को क्लीन चिट दे दी गई साथ ही हम सदस्यों के नाम पर परीक्षा केंद्र व्यवस्थापक उसे भारी धन उगाही की गई इस बात की शिकायत मैंने विश्वविद्यालय के कुलपति एवं परीक्षा नियंत्रक से साथियों के साथ किया विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए महिला टीम को निरस्त कर दिया लेकिन इस कदाचार के मामले में मुख्य रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने से परहेज किया जा रहा है। साथ ही इस बात की शिकायत करने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। उन्होंने वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की शैक्षणिक मूल्यों एवं परीक्षा की शुचिता तथा पवित्रता की रक्षा के लिए कुलपति एवं परीक्षा नियंत्रक को उपलब्ध कराए गए प्रमाण के आधार पर परीक्षार्थियों के उत्तर पुस्तिकाओं का गहन निरीक्षण कर जांच करने की मांग की है साथ ही उन्होंने चेताया कि इस प्रकरण में न्याय न मिलने की दशा में हम छात्रहित के लिए कुलाधिपति व माननीय न्यायालय की शरण में भी जाएंगी। महिला प्रोफेसर द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप विश्वविद्यालय प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है।

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