मरम्मत के आठ हजार नहीं मिले तो मंगा ली दो लाख की नई मशीन आजमगढ़। मंडलीय चिकित्सालय के ऑपरेशन थिएटर में लगी ऑटो क्लेव मशीन मशीन खराब हो गई है। इसे बनवाने के लिए आठ हजार रुपये का बंदोबस्त नहीं हो पाया। हां उसके बदले में दो लाख रुपये से ज्यादा खर्च कर नई मशीन मंगा ली गई और पुरानी मशीन को ट्रामा सेंटर के स्टोर में धूल फांक रही है। मंडलीय चिकित्सालय में 300 बेड हैं। रोजाना औसतन 1400 मरीज यहां उपचार कराने आते हैं। प्रतिदिन ट्रामा सेंटर में 13 और मंडलीय अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में 28-29 मरीजों का ऑपरेशन किया जाता है। ऑपरेशन थिएटर में लगा ऑटो क्लेव मशीन करीब सात माह पूर्व ही खराब हो गई। ऑटो क्लेव मशीन से सर्जिकल उपकरणों को उच्च ताप पर गर्म करके उनमें बैक्टीरिया और संक्रमण को खत्म किया जाता है। विभाग की माने तो इसे बनवाने के लिए करीब आठ हजार रुपये खर्च आता लेकिन अधिकारियों ने इसे न बनवाकर दो लाख से अधिक रुपये खर्च कर नई ऑटो क्लेव मशीन मंगा ली। पुरानी मशीन को ट्रामा सेंटर के स्टोर रूम में रखवा दिया। मंडलीय जिला चिकित्सालय में 300 बेड की व्यवस्था है। इन बेडों में से करीब 43 बेड टूट चुके हैं जिसे स्टोर रूम में फंेक दिया गया। इसके बाद सीएमओ ने बेड की मांग को लेकर शासन को पत्र लिखा। शासन की ओर से मात्र 15 बेड ही भेजे गए। ऐसा ही हाल मरीजों के बेड के साथ मिले कुर्सी व आलमारी की है। सभी टूटे पड़े हैं कुछ स्टोर में चले गए तो कुछ मरीजों के बेड के पास पड़े है। तीमारदार किसी तरह अपना काम चलाता है। मरीजों को सांस लेने में किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए बेडों के पास ऑक्सीजन पाइप लगाई गई है। पाइप में लगा फ्लोमीटर जो ऑक्सीजन का लेवल बताता है, वह भी खराब पड़े हैं। जिससे ऑक्सीजन का लेवल भी नहीं पता चल पाता है। कुछ तीमारदार तो बाहर से खरीदकर लाते हैं लेकिन इन दिनों मार्केट में भी फ्लोमीटर नहीं उपलब्ध हो पा रही है। ऐसे में विवश होकर तीमारदार पांच हजार से लेकर आठ हजार रुपये खर्च कर रहे हैं। स्टोर रूम में जितने भी सामान व उपकरण है वह सब खराब हो गए हैं। नए उपकरण व सामान के लिए शासन को पत्र लिखा गया था लेकिन अभी तक कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले है। टेंडर प्रक्रिया ठप है जिसके कारण पुराने उपकरण नहीं बेचे जा सके हैं। यदि पुराने बिकते तो नए उपकरण मंगाए जाते। डा. अनूप कुमार, एसआईसी, जिला मंडलीय चिकित्सालय, आजमगढ़।