बलिया क्रांति का रूप ऐसा था कि गांव के चौकीदार से लेकर जिले के कलेक्टर तक को नतमस्तक होना पड़ा—देवेन्द्र

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रिपोर्ट—अशोक जायसवाल
बलिया। बलिया बलिदान दिवस के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के लघु उद्योग प्रकोष्ठ के तत्वधान में बिल्थरारोड में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप 
में भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य देवेंद्र गुप्ता रहे।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री गुप्ता ने कहा कि भारत की आजादी से 5 साल पूर्व 19 अगस्त 1942 को ही बलिया आजाद हो गया था। बलिया के क्रांतिकारियों ने अंग्रेजो की हालत ऐसी कर दी कि वो रातों रात वहां से भाग निकले। बलिया क्रांति का रूप ऐसा था कि गांव के चौकीदार से लेकर जिले के कलेक्टर तक को नतमस्तक होना पड़ा। 10 अगस्त 1942 को शुरू हुई अहिंसक क्रांति से अंग्रेजी राज के सभी गढ़ ढह गए और नौकरशाही भाग खड़ी हुई एक के बाद एक थाने व तहसील पर तिरंगा फहरता चला गया और अंग्रेजी प्रशासन पूरी तरह ध्वस्त हो गया। बलिया के लोगों ने अपने अदम्य साहस और अद्भुत शौर्य के दम पर लगभग पौने दो सौ साल से पड़ी गुलामी की बेड़ियां काट दीं और 19 अगस्त 1942 को ही स्वतंत्रता के सुप्रभात का दीदार कर लिया। उक्त संगोष्ठी में मुख्य रूप से सहती राम राजभर एडवोकेट, खड़क बहादुर सिंह, दुर्गा प्रसाद जायसवाल मधु लाला, अमीरचन्द गुप्ता, विनोद कुमार, संतोष पासवान, प्रेमचन्द, सुभाष चंद्र जायसवाल, रिंकू जायसवाल आदि लोगो ने संबोधित किया।अध्यक्षता भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के मंडल अध्यक्ष नीर शंकर मोदनवाल व संचालन धर्मेन्द्र सोनी ने किया।

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