फ्री राशन लेने वाले 66 हजार किसानों ने सरकार को बेचा 2000 करोड़ का अनाज, ऐसे पकड़ी गड़बड़ी

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश में एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई है जिसमें मुफ्त का राशन लेने वाले किसानों ने सरकारी केंद्रों पर करीब 2 हजार करोड़ का राशन बेचा है. यह मामला आधार कार्ड्स के जरिए सामने आया है. सरकारी क्रय केंद्रों पर बेचने आने वाले किसानों और राशन लेने आने वालों का डेटा जब मैच किया गया तो यह गड़बड़ी सामने आई. जांच में 66 हजार आधार नंबर ऐसे मिले हैं जिनपर राशन कार्ड बने हैं और उन्होनें तीन-तीन लाख से ज्यादा का गेहूं-धान सरकार को बेचा है. जांच में ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिन्होनें आठ से दस लाख रुपए का अनाज सरकार को बेचा है. ग्रामीण इलाकों में सलाना दो लाख से ज्यादा जिनकी आय है वह राशन कार्ड के पात्र नहीं होते हैं. ऐसे में तीन लाख या उससे ज्यादा आय वालों को राशन फ्री में किस तरह मिला यह जांच का विषय है.
राशनकार्ड धारकों के तीन-तीन लाख रुपए से ज्यादा के गेंहूं और धान सरकारी केंद्रों पर बेचने का मामला सामने आने के बाद से सरकारी विभाग में उथल-पुथल मची है. यूपी में करीब 14.87 करोड़ राशनकार्ड धारक हैं. इन्हें हर महीने प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना में मुफ्त राशन मिलता है. जब राशनकार्ड से फ्री राशन लेने वालों और सरकारी क्रय केंद्रों पर अनाज बेचने वालों का डेटा मिलाया गया तो सामने आया कि 66 हजार राशनकार्ड धारक ऐसे हैं जिनके पास कृषि भूमि है और उन्होनें रबी और खरीफ में तीन लाख रुपए से ज्यादा का अनाज सरकार को बेचा है. 
सरकारी नियम के अनुसार ग्रामीण इलाकों में जिस परिवार की सलाना आय 2 लाख रुपए से ज्यादा होती है उसे राशन कार्ड नहीं मिलता है. 2 लाख से कम आय वाले परिवारों को ही राशनकार्ड का पात्र माना जाता है. ऐसे में जिन किसानों ने एक लाख रुपए से ज्यादा का अनाज सरकारी क्रय केंद्रों में बेचा है वह फ्री राशन पाने के पात्र नहीं हैं और वह गलत तरीके से मुफ्त राशन पा रहे हैं.
गड़बड़ी के सामने आने के बाद खाद्य एवं रसद विभाग की प्रमुख सचिव वीना कुमारी मीना ने मामले में राज्य के सभी जिलाधिकारियों को जांच करने के निर्देश दिए हैं. इसी के साथ उन्होने 15 दिन में पूरी रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं.

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