मरने के बाद भी कायम है विकास दुबे की दहशत

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आईजी से बोले ग्रामीण- हमें बचा लीजिए साहब
कानपुर। कानपुर में बिकरू कांड के एक साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी विकास दुबे के गुर्गों का आतंक बरकरार है। मंगलवार को चौबेपुर से एक पीड़ित आईजी रेंज के यहां आया और उसने विकास दुबे के गुर्गे पर जमीन कब्जाने का आरोप लगाया। आईजी ने मामले में जांच कर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। चौबेपुर निवासी केशकली ने बताया कि 19 सितंबर को आरोपित ने 10 लोगों के साथ ग्राम महाराजपुर में उनकी जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया। विरोध करने पर पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी। उन्होंने इसकी सूचना 112 नंबर पर दी। पर दबंगों पर कार्रवाई नहीं की गई। केशकली ने बताया कि उनका परिवार पिछले तीस वर्षों से पूरे रकबा पर काबिज है। वर्ष 1996 में उनके पति ने खेत में मकान का निर्माण कराया। तब से उनका परिवार उसमें ही रह रहा है। उसी जमीन का एक हिस्से के सह स्वामी की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने जमीन कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर बेच दी, जिसका मुकदमा न्यायालय में चल रहा है। आरोप है कि आरोपित विकास दुबे के लिए जमीनों पर कब्जा कर किसानों से बैनामा करवा देता था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर के चर्चित बिकरू कांड में विकास दुबे व उसके गैंग को पुलिस दबिश की जानकारी देने के आरोपी थाना प्रभारी विनय तिवारी व सब इंस्पेक्टर केके शर्मा की जमानत अर्जी नामंजूर कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि याचियों ने पुलिस की दबिश की जानकारी गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों को पहले ही दे दी थी। पुलिस विभाग के कुछ लोग अपने विभाग की बजाय गैंगस्टर के ज्यादा वफादार हैं। याचियों के इस कार्य से गैंगस्टर दबिश को लेकर न सिर्फ सचेत हो गए बल्कि उन्हें जवाबी कार्रवाई करने का मौका भी मिल गया और इसी कारण पुलिस वालों को जान गंवानी पड़ी। कोर्ट ने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा अपराधियों व गैंगस्टर को अपनी पार्टी में शामिल करने का चलन काफी चिंताजनक है। राजनीतिक दल न सिर्फ इन अपराधियों को संरक्षण देते हैं बल्कि वहां इनकी छवि को रॉबिनहुड की तरह पेश किया जाता है। उन्हें चुनाव लड़ने के लिए टिकट भी दिया जाता है और ऐसे अपराधी कई बार जीत भी जाते हैं। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार के चलन को जितनी जल्दी हो सके बंद कर देना चाहिए। सभी राजनीतिक दलों को साथ बैठकर यह तय करना होगा कि गैंगस्टर और अपराधियों को राजनीति में न आने दें और कोई भी पार्टी ऐसे लोगों को टिकट न दे। क्योंकि यह प्रवृत्ति न सिर्फ कानून के शासन को नुकसान पहुंचाएगी बल्कि देश के लोकतांत्रिक स्वरूप को भी बिगड़ती है। गौरतलब है कि तीन जुलाई 2020 को गैंगस्टर विकास दुबे के गांव बिकरू में पुलिस टीम दबिश देने गई थी लेकिन गैंगस्टर को पुलिस के आने की खबर पहले ही लग गई थी। जिससे उसने घेराबंदी करके मुठभेड़ की और आठ पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या कर दी। बाद में विकास दुबे मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया गया और यूपी वापस आते समय भागने की कोशिश में पुलिस के हाथों मारा गया।

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