कांग्रेस को बड़ा झटका: पूर्व विधायक व पूर्व मुख्यमंत्री के प्रत्रौत्र ने पार्टी से दिया इस्तीफा

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बोले- पुराने कांग्रेसियों की उपेक्षा से आहत होकर लिया फैसला
वाराणसी। चुनावी आहट के बीच यूपी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। दो-तीन दिन पहले उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले मड़िहान (मिर्जापुर) के पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी ने गुरुवार को कांग्रेस छोड़ने का एलान कर दिया। वाराणसी के औरंगाबाद हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने इस बात की जानकारी दी है।
पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पुराने कांग्रेसियों की उपेक्षा से आहत होकर ये फैसला लेना पड़ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री पं. कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेश ने कहा कि पार्टी के अंदर कुछ कमियां दिख रही थीं और उनको दुरुस्त करने के लिए हम लोग प्रयासरत थे। स्थितियों में सुधार नहीं हुआ इसलिए मैंने पहले पद और अब पार्टी से इस्तीफा दे दिया। 
पार्टी छोड़कर दूसरी जगह जाने के सवाल पर ललितेश ने कहा कि अभी आगे का रास्ता क्या होगा इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है। अपने समर्थकों के साथ बैठक करने के बाद इस पर विचार विमर्श किया जाएगा। आगे जाने का रास्ता उन्हीं लोगों के माध्यम से तय किया जाएगा। ललितेश के इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस में हलचल तेज हो गई है। वहीं पूर्वांचल में भी कांग्रेस आगे की रणनीति पर विचार कर रही है। 
ट्विटर पर यूपी के जिस नेता ललितेश पति त्रिपाठी को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, यूपी व इंडिया कांग्रेस और विधान परिषद दल के नेता दीपक सिंह फॉलो करते हैं, उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। पूर्वांचल में कांग्रेस की धुरी रहे औरंगाबाद हाउस से निकली इस खबर से सियासी महकमे में बड़ा उथलपुथल होने की आशंका जताई जा रही है।
कांग्रेस के लिए ललितेश पति त्रिपाठी का साथ छोड़ना दशकों से जमी पूर्वांचल में पार्टी की जमीन खिसकना माना जा रहा है। वर्ष 2017 में चुनाव हारने के बाद से ही युवा ब्राह्मण चेहरा बने ललितेश लंबे समय से पूर्वांचल की राजनीति में खुद को अकेला महसूस कर रहे थे। मुश्किलों से घिरे ललितेश पर अब सियासतदां की नजरें टिकी हुई हैं।
प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर ताजपोशी का सपना संजोएं पूर्व मुख्यमंत्री पं. कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेश चुनाव हारने के बाद ही अलग-थलग से पड़ गए थे। पार्टी ने प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी तो सौंपी लेकिन शायद यह उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के अनुरूप नहीं था। नक्सली क्षेत्र होने के बावजूद ललितेश ने मड़िहान से 2012 में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। यह उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी। युवाओं के चहेते और पूर्वांचल में बड़ा चेहरा होने के बावजूद पार्टी की ओर से ललितेश को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा था।
पं. कमलापति त्रिपाठी के परिवार से गांधी परिवार का राजनीतिक ही नहीं पारिवारिक रिश्ता भी जुड़ा हुआ है। इंदिरा, राजीव और सोनिया गांधी के सबसे करीबी पं. कमलापति का घराना रहा है। तमाम विरोधों के बावजूद चाहे इंदिरा गांधी रही हों या राजीव गांधी अथवा सोनिया गांधी तीनों के कार्यकाल में न कभी पं. कमलापति को नकारा गया न लोकपति त्रिपाठी को न राजेश पति त्रिपाठी को। इंदिरा गांधी ने तो पं. कमलापति त्रिपाठी को कार्यकारी अध्यक्ष तक बनाया। राजीव गांधी के खिलाफ पंडित जी ने कई बार खुले पत्र जारी किए। बावजूद इसके इस परिवार को किसी ने कभी नकारा नहीं। अब कांग्रेस में चौथी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रहे पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी ने कांग्रेस से किनारा कर लिया है। वाराणसी और मिर्जापुर में कांग्रेस समर्थक इस खबर से सकते में हैं।

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