जगह-जगह खुले सिंथेटिक मिठाइयों के कारखाने,सो रहा जिम्मेदार विभाग -वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’ आजमगढ़। खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी पर अंकुश लगाने के लिए जिम्मेदार सरकारी विभाग के अधिकारी व कर्मचारी गहरी नींद में लीन हैं। नतीजा की जनपद में जगह-जगह सिंथेटिक मिठाइयों के कारखाने निर्बाध गति से चल रहे हैं। इन कारखानों के संचालक विभागीय कृपा के चलते जनमानस को मिष्ठान के रूप में मीठा जहर परो सने का कार्य कर रहे हैं। जनपद में मिष्ठान की अधिसंख्य दुकानों पर बिकने वाली मिठाईयां घातक रसायनों से तैयार की जाती है और ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए मिष्ठान दुकानदार अवैध रूप से चल चल रहे इन कारखानों से काफी कम लागत पर तैयार की गई मिठाई अपने काउंटरों से बेच रहे हैं। जिले में हो रहे दुग्ध उत्पादन पर नजर डाली जाए तो दूध से तैयार हुए छेना व खोआ की खपत उत्पादन से कई गुना ज्यादा इस जनपद में होती है। ऐसा भी नहीं है कि इसकी जानकारी खाद्य एवं औषधि प्रशासन को नहीं है। सिंथेटिक खोवा और छेना की आपूर्ति जिले में कानपुर, गाजीपुर व अन्य जनपदों से की जाती है। विभागीय रहमोकरम पर चल रहे छेना और खोवे के आपूर्तिकर्ता रात के अंधेरे में रोडवेज तथा अन्य परिवहन के साधनों से सुरक्षित स्थानों पर माल उतारते हैं और इसकी आपूर्ति अवैध रूप से चल रहे मिठाई के कारखानों तथा दुकानों पर रात में ही पहुंचा देते हैं। ऐसा भी नहीं है कि जिम्मेदार विभाग के लोग इस बात से अनजान हैं। कोरम पूरा करने के लिए विभागीय अधिकारी व कर्मचारी सैंपल के नाम पर कुछ एक जगहों पर कार्रवाई कर अपनी आंख मूंद लेते हैं। नाम न छापने की शर्त पर शहर के एक मिष्ठान दुकानदार ने बताया कि अवैध रूप से चल रहे मिष्ठान कारखानों से 120 से 140 रुपए प्रति किलो की दर से बूंदी के लड्डू तथा 160 रुपए प्रति किलो की दर से खोए और छेने से निर्मित मिठाईयां उपलब्ध हो जाती हैं। इसे बाजार में ऊंचे दाम पर बेचकर लंबा मुनाफा कमाया जाता है। मिठाई तैयार करने के लिए आवश्यक सामग्री व ईंधन में आने वाले खर्च के साथ ही समय की भी बचत हो जाती है। ऐसे में सिंथेटिक मिठाइयों का कारोबार ज्यादा मुनाफा देने वाला व्यवसाय साबित होता है।