दो आईएएस सचिव व सात अपर सचिव पद के लिए सूचीबद्ध लखनऊ। मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं। तिवारी को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए सूचीबद्ध (इम्पैनल) किया गया है। उनकी तैनाती सचिव या उसके समकक्ष पद पर की जा सकती है। इसके अलावा दो और आईएएस अधिकारियों मनोज कुमार सिंह तथा जूथिका पाटणकर को भी सचिव स्तर पद के लिए सूचीबद्ध किया गया है। आर.के. तिवारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाते हैं तो प्रदेश में एक बार फिर मुख्य सचिव पद के दावेदारों की दौड़ तेज होने की संभावना है। आर.के. तिवारी 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। पूर्व में 1985 बैच के आईएएस अधिकारियों के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए इम्पैनलमेंट में तिवारी का नाम नहीं आ पाया था। इस बार वह सूचीबद्ध कर लिए गए हैं। तिवारी के अलावा 1988 बैच के मनोज कुमार सिंह व जूथिका पाटणकर को भी सचिव पद के लिए सूचीबद्ध किया गया है। जूथिका मौजूदा समय में केंद्र में ही तैनात हैं। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि अगर आर.के. तिवारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाते हैं तो प्रदेश में एक बार फिर मुख्य सचिव के लिए वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों में दौड़ शुरू होगी। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त संजीव मित्तल, कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी इसके प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। इसके अलावा 1994 बैच के आईएएस अधिकारी के. राम मोहन राव, 1995 बैच के आईएएस अधिकारी अमृत अभिजात, आशीष कुमार गोयल, मृत्युंजय कुमार नारायण, आर. रमेश कुमार, संजय प्रसाद व संतोष कुमार यादव को केंद्र में अपर सचिव पद के लिए सूचीबद्ध किया गया है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद प्रतीक्षारत 1995 बैच केआईएएस अधिकारी अमृत अभिजात को प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा व कौशल विकास के पद पर तैनाती दी गई है। मुख्यमंत्री के सचिव आलोक कुमार इन सभी विभागों के सचिव जिम्मेदारी संभालते रहेंगे। इसी तरह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद प्रतीक्षारत 1995 बैच की आईएएस अधिकारी संयुक्ता समद्दर को आयुक्त राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र नई दिल्ली के पद पर तैनाती दी गई है। स्थानिक आयुक्त नई दिल्ली प्रभात सारंगी से आयुक्त एनसीआर की जिम्मेदारी वापस ले ली गई है। उनके पास आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार था। शासन ने बुधवार को 125 डिप्टी कलेक्टरों का तबादला कर दिया। इनमें से ज्यादातर वे डिप्टी कलेक्टर हैं जो एक ही जिलें में तीन वर्ष या उससे ज्यादा समय से तैनात हैं। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इसे बड़ा फेरबदल माना जा रहा है। मतदाता सूची पुनरीक्षण से लेकर चुनाव संपन्न होने तक डिप्टी कलेक्टरों की अहम भूमिका रहती है।