यूपीएससी की परीक्षा में ममता यादव ने दूसरे प्रयास में हासिल किया पांचवी रैंक

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जानिए 556वीं रैंक से पांचवीं रैंक तक का सफर
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा ममता यादव अपने परिवार में आईएएस बनने वाली पहली महिला बन गई हैं। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा शुक्रवार को घोषित अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में वह पांचवें स्थान पर रही। गौरतलब है कि यह 24 वर्षीय ममता का दूसरा प्रयास था। उन्होंने पिछले साल 556 रैंक हासिल की थी। जिसके बाद वह भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा के लिए प्रशिक्षण ले रही था। लेकिन ममता को यह मंजूर नहीं था। इसलिए उन्होंने फिर से प्रयास किया और सफलता हासिल की। इस पर कालकाजी निवासी ममता यादव ने कहती हैं कि मुझे उम्मीद थी कि मेरी रैंक में सुधार होगा, लेकिन पांचवीं रैंक काफी हैरान करने वाली है और मैं बहुत खुश हूं।"
बसई गांव निवासी ममता यादव के पिता अशोक यादव एक निजी कंपनी में काम करते हैं, जबकि उनकी मां सरोज यादव गृहिणी हैं। ममता की पूरी पढ़ाई दिल्ली में ही हुई है। ममता यादव ने दिल्ली के जीके (ग्रेटर कैलाश) के बलवंत राय मेहता स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की, फिर डीयू (दिल्ली यूनिवर्सिटी) के हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन किया।
परीक्षा के पहले चरण से ही टॉपर का खिताब हासिल करने के लिए ऊंची उड़ान भरने का सपना देखने वाली ममता यादव 4 साल से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही थीं। साल 2019 में ममता यादव ने देशभर में 556वीं रैंक हासिल की थी। लेकिन उनका सपना आईएएस बनने का था। माता-पिता ने हौसला बढ़ाया और ममता ने एक बार फिर प्रयास शुरू कर दिया।
ममता बताती हैं पहले मैं दिन में 8 से 10 घंटे पढ़ाई करती थी, लेकिन कहीं न कहीं कोई कमी रह गई थी। इसलिए इस बार अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए मैंने दिन में 10 से 12 घंटे सेल्फ स्टडी की और आखिरकार अपने लक्ष्य को हासिल किया। बता दें कि शुक्रवार को जब परीक्षा के नतीजे आए तो ममता यादव और उनके परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ममता यादव ने इस कठिन परीक्षा में देश भर में 5वां रैंक हासिल कर न केवल परिवार बल्कि क्षेत्र का भी नाम रौशन किया। ममता यादव इससे पहले एसएससी की परीक्षा भी पास कर चुकी हैं।

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