घर आंगन में पूजे गए लक्ष्मी गणपति और कुबेर

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व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर पुरोहितों ने संपन्न कराया पूजन

रंग बिरंगी झालर व दीपमालाओं से रोशन हुए शहर व गांव

रिपोर्ट-वेद प्रकाश सिंह 'लल्ला'

आजमगढ़। प्रकाश का पर्व दीपावली गुरुवार को जनपद में धूमधाम से मना। पर्व के अवसर पर शुभ मुहूर्त में सनातन धर्मप्रेमियों ने घरों और प्रतिष्ठानों में लक्ष्मी, गणपति और कुबेर को आसन पर बिठाकर विधिवत पूजा-अर्चना कर देवी- देवताओं से मंगल जीवन की कामना करते हुए आशीर्वाद मांगा। दीपावली की पूर्व संध्या पर बुधवार को घरों और प्रतिष्ठानों की साफ-सफाई के बाद लोग लक्ष्मी व गणेश पूजन की तैयारी में जुट गए। रात्रि बेला में नरक चतुर्दशी के अवसर पर लोगों ने यम का दीपक घरों के बाहर रख यम देवता से आशीर्वाद प्राप्त किया। गुरुवार की भोर में सनातन परंपरा के अनुसार दरिद्रता भगाने के लिए महिलाएं घर में खाद्यान्न की सफाई में प्रयुक्त सूप पर दीपक जलाकर घर के सभी कोनों का भ्रमण कर दरिद्र नारायण को घर से बाहर निकालने की परंपरा का निर्वाह करते देखी गईं। इसके बाद सुबह लोग घरों और प्रतिष्ठानों की सफाई व धलाई में जुट गए। सुबह की बेला में लोग आम का पल्लव और फूल मालाओं की व्यवस्था कर उनसे तोरण द्वार बनाकर दरवाजों को सजाया। आकर्षक विद्युत झालरों से जगमग वातावरण के बीच सांध्य बेला में पड़ने वाले शुभ मुहूर्त के दौरान आस्थावान परिवार के लोग एकत्र होकर पूजन की तैयारी में जुट गए। घरों में बच्चे रंगोली बनाने में जुटे रहे, तो वहीं महिलाएं घर के आंगन में रंगोली सजाकर वहां आसन बिछाया। दीपावली पर्व पर निभाने वाली परंपरा के अनुसार विष्णु देवता, पवनसुत हनुमान के साथ ही लक्ष्मी-गणेश व कुबेर की प्रतिमाओं व चित्रों को वस्त्र धारण कराकर आदर पूर्वक आसन पर बिठाया गया। तत्पश्चात परिवार के सभी सदस्य श्रद्धाभाव से अपने ईष्ट देवताओं को प्रसन्न करने के लिए पूरे मनोयोग से पूजा अर्चना में जुट गए। इस दौरान आम्र पलल्व व दीपक के साथ कलश की स्थापना कर संकल्प के साथ देवी-देवताओं का आवाह्न किया गया। तत्पश्चात उन्हें अर्पित किए जाने वाली सामग्री जैसे फल,फूल, मिष्ठान, धान का लावा, खील-बताशा, रोली, चंदन, दुर्वा, चावल, नारियल,कौड़ी, कवलगट्टा, शंखचक्र, कमल पुष्प आदि से विधिवत पूजा-अर्चना की गई। व्यापारिक प्रतिष्ठानों के मालिक पुरोहितों के माध्यम से अपने प्रतिष्ठान के कर्मचारियों व सगे-संबंधियों के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ लक्ष्मी-गणेश एवं बही खाते की पूजा अर्चना की। पूजन कार्य संपन्न होने के साथ ही पूजा स्थल पर जलाए गए दीपों को घर के महत्वपूर्ण स्थानों पर रखने के साथ ही देवालयो में भी आस्था के दीपक जलाए गए। तत्पश्चात आकर्षक विद्युत झालरों के बीच दीपक जलाने का कार्य शुरू हुआ। मकानों और प्रतिष्ठानों पर जल रहे दीपकों की झिलमिल रोशनी विद्युत झालरों की सजावट में चार चांद लगा रही थी। दीपक जलाने का कार्य पूर्ण होने के बाद परिवार के सभी सदस्य प्रसन्न मुद्रा में एकत्र होकर एक दूसरे को दीपावली पर्व का बधाई संदेश देते हुए आतिशबाजी के लिए जमा हुए। इस बार प्रशासन की सख्ती के चलते तेज आवाज वाले पटाखे जलाने से लोगों ने परहेज किया। वहीं रोशनी, अनार, चरखी व फुलझड़ी की आतिशबाजी से देर रात तक पर्व का उल्लास जारी रहा। बच्चों और महिलाओं ने जहां फुलझड़ी और रोशनी वाले पटाखे जलाकर दीपावली पर्व को उत्साह पूर्वक मनाया। वहीं युवा वर्ग तेज आवाज वाले पटाखों को जलाने में उत्सुक नजर आया। कोरोना संक्रमण काल के बाद पड़ने वाले इन त्योहारों के प्रति जनमानस में जहां अति उत्साह देखने को मिला, वहीं महंगाई की मार झेलते हुए लोगों ने दीपावली पर्व को श्रद्धा और आस्था के साथ मनाते हुए पर्व का भरपूर आनंद लिया।

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