मुख्तार अंसारी से रमाशंकर सिंह तक नहीं लड़ेंगे चुनाव पढ़े 45 विधायकों के नाम जिन पर एमपी-एमएलए कोर्ट में आरोप हो गये हैं तय लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में मौजूदा 396 विधायकों में से 45 विधायक ऐसे हैं, जो चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं, इसपर संशय है। उत्तर प्रदेश में कुल 45 ऐसे विधायक हैं, जिनके इस बार चुनाव लड़ने पर खतरा मंडराया हुआ है, इसकी वजह हैं उन पर लगे आरोप। प्रदेश के मौजूदा 396 में से 45 विधायकों के चुनाव लड़ने पर संशय है, क्योंकि इन पर कोर्ट द्वारा आरोप तय कर दिए गये हैं। चुनावी सीटों और कैंडिडेटों का बहीखाता रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर ने अपनी शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में दावा किया है कि उत्तर प्रदेश के मौजूदा 45 विधायकों पर एमपी-एमएलए कोर्ट में आरोप तय हो गए हैं। ऐसे मे उनके चुनाव लड़ने पर संशय पैदा हो गया है।आरपी अधिनियम 1951 की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत सूचीबद्ध अपराधों में कोर्ट द्वारा ये आरोप तय हुए हैं। ऐसे में इन मामलों में कम से कम छह महीने की सजा होने पर ये विधायक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। हालांकि फैसला चुनाव आयोग के हाथ में है, क्योंकि चुनाव लड़ने को योग्य या अयोग्य तय करने का अधिकार चुनाव आयोग के पास है। एडीआर द्वारा जारी दागी उम्मीदवारों की रिपोर्ट में सबसे अधिक दागी विधायक भारतीय जनता पार्टी के ही हैं।जानकारी के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी के 32, सपा के पांच, बसपा व अपना दल के 3-3 और कांग्रेस व अन्य दल का एक-एक विधायक शामिल है रिपोर्ट के मुताबिक, इन 45 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित रहने की औसत संख्या 13 वर्ष है। इनमें से 32 विधायकों के खिलाफ दस साल या उससे अधिक समय से कुल 63 आपराधिक मामले लंबित हैं।एडीआर रिपोर्ट में उन विधायकों की पूरी सूची है, जिनके ऊपर आरोप तय हुए हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि किसके खिलाफ कितने साल से मामले लंबित हैं। इन सबके ऊपर मर्डर से लेकर अटेंप्ट टू मर्डर और कई तरह के आरोप हैं। इस लिस्ट में भाजपा विधायक रमाशंकर सिंह टॉप पर हैं तो वहीं बसपा विधायक और बाहुबली मुख्तार अंसारी दूसरे नंबर पर हैं, जिनके ऊपर 20 साल से अधिक समय से मामले लंबित हैं। इन पर अलग-अलग आरोप हैं। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 में राज्य में संसद के किसी भी सदन के सदस्य के साथ-साथ विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य के रूप में होने और चुने जो वाले व्यक्तियों के लिए अयोग्यता का प्रावधान है। अधिनियम की धारा 8 की उप-धाराएं (1), (2) और (3) में प्रावधान है कि इनमें से किसी भी उपधारा में उल्लेखित अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा और उसकी रिहाई के छह साल बाद तक की अवधि के लिए वह अयोग्य बना रहेगा। इसमें हत्या से बलात्कार, डकैती से लेकर अपहरण और रिश्वत जैसे अपराध भी शामिल हैं। ये हैं वे विधायक जिन पर एम पी एम एल ए कोर्ट ने आरोप तय किये हैं - रमा शंकर सिंह-मड़िहान- भाजपा, मुख्तार अंसारी- मऊ-बसपा, अशोक कुमार राणा-धामपुर-भाजपा, सूर्य प्रताप-पथरदेवा-भाजपा, संजीव राजा-अलीगढ़-भाजपा, कारिंदा सिंह- गोवर्धन-भाजपा, राज कुमार पाल-प्रतापगढ़-अपना दल, सुरेश्वर सिंह-महसी-भाजपा, मो रिजवान-कुंदरकी-सपा-(उपरोक्त विधायकों पर तीनों धाराओं में आरोप तय, 20 से अधिक मामले), अमर सिंह-शोहरतगढ़-अपना दल, हरिराम-दुद्धी- अपना दल, उमेश मलिक-बुढ़ाना-भाजपा, सत्यवीर त्यागी-मेरठ-किठोर, मनीष असीजा-फिरोजाबाद-भाजपा, नंद किशोर-लोनी भाजपा, देवेन्द्र सिंह-कासगंज-भाजपा, वीरेन्द्र-एटा-भाजपा, विक्रम सिंह-खतौली-भाजपा, धर्मेन्द्र कु सिंह शाक्य-शेखुपुर-भाजपा, राजेश मिश्र-बिथरी चौनपुर-भाजपा, बाबू राम-पूरनपुर-भाजपा, मनोहर लाल-मेहरौनी-भाजपा, बृजभूषण -चरखारी-भाजपा, राजकरन-नरैनी-बांदा, अभय कुमार-रानीगंज-भाजपा, राकेश कुमार-मेंहदावल-भाजपा, संजय प्रताप जायसवाल-रुधौली-भाजपा, राम चंद्र यादव-रुदौली-भाजपा, गोरखनाथ-मिल्कीपुर-भाजपा, इंद्र प्रताप-गोसाईगंज-भाजपा, अजय प्रताप-कर्नलगंज-भाजपा संजय कुमार -चायल-भाजपा, श्रीराम-मोहम्मदाबाद गोहना-भाजपा, आनंद-बलिया-भाजपा, सुशील सिंह-सैयदरजा-भाजपा, रवीन्द्र जायसवाल-वाराणसी उ-भाजपा, भूपेश कुमार-राबर्ट्सगंज-भाजपा, सुरेन्द्र मैथानी-गोविंदनगर-भाजपा, असलम अली-धोलना-बसपा, मो असलम-भिनगा-बसपा, अजय कुमार लल्लू-तमकुहीगंज-कांग्रेस, विजय कुमार-ज्ञानपुर-अन्य दल, राकेश प्रताप सिंह-गौरीगंज-सपा, शैलेन्द्र यादव ललई-शाहगंज-सपा, प्रभुनाथ यादव-सकलडीहा-सपा।