उत्तर प्रदेश के 73 जिलों के दरोगाओं को होगा डिमोशन, जानें पूरा मामला

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गोरखपुर। अपने ही साथियों से एक से लेकर दो साल तक सीनियर हुए दरोगाओं का अब ‘डिमोशन’ होगा वे अब अपने गोरखपुर वाले साथियों के समकक्ष नजर आएंगे। पीएनओ को लेकर सामने आई गड़बड़ी की जांच में गोरखपुर में हुई ज्वाइनिंग को सही पाया गया जबकि अन्य जिलों को इसे तत्काल ठीक करने के लिए कहा गया। एडीजी जोन ने पीएनओ के खेल को लेकर सामने आ रहे शिकायतों की जांच कराई थी जिसमें यह बात सामने आई है। हालांकि यह गड़बड़ी यूपी के 73 जिलों में होने का अंदेशा है पर एडीजी ने फिलहाल अपने जोन के 11 जिलों के एसपी को आदेश जारी किया है।
वर्ष 2015, 2016, 2017 के भर्ती उपनिरीक्षकों की ट्रेनिंग के बाद गोरखपुर जिले में ज्वाइन करने के बाद उन्होंने जिस साल में ज्वाइन किया था, वही उनका बैच मानते हुए उसी पर पीएनओ नम्बर जारी किया गया था। जबकि अन्य कई जिलों में ट्रेनिंग के वर्ष को बैच मानते हुए उसी आधार पर पीएनओ जारी किया था। इस मामले में विवाद तब गहराया जब अन्य जिले के उसी बैच के दरोगा ट्रांसफर पर गोरखपुर आए। पता चला कि जिनके साथ उन्होंने ट्रेनिंग की थी उनसे वह एक से लेकर दो साल तक सीनियर हैं।
वहीं जूनियर बने दरोगाओं ने इसकी शिकायत पहले तत्कालीन एसएसपी डॉ. सुनील गुप्ता से की लेकिन कोई हल नहीं निकला। बाद में यह मामला एसएसपी दिनेश प्रभु के समय भी उठा। इस बार इसको लेकर पत्राचार शुरू हो गया और एडीजी जोन अखिल कुमार ने भी इस पर जांच के आदेश दिए। वहीं मुख्यालय को पत्र लिखकर पीएनओ नम्बर के निर्धारण के बारे में जानकारी मांगी थी। पत्र के जवाब यह तय हुआ कि गोरखपुर जिले ने जो पीएनओ जारी किया था वह सही है, जबकि अन्य जिलों के बारे में एडीजी ने सुधार करने के लिए पत्र लिखा है।
मुख्यालय से बताया गया कि पुलिसकर्मी के पीएनओ का निर्धारण भर्ती वर्ष की तिथि से होता है। वहीं किसी पुलिसकर्मी की भर्ती वर्ष की तिथि का तात्पर्य सक्षम नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा उसका नियुक्ति आदेश निर्गत होने के बाद नियुक्ति स्थल पर आगमन की तिथि से है। एडीजी अखिल कुमार ने कहा कि पीएनओ का निर्धारण गोरखपुर जिले में सही से हुआ है लेकिन इसके अलावा किसी जिले ने मुख्यालय के नियमों से अलग आवंटन किया है तो उसका सुधार कर लें। उन्होंने 15 दिन के अंदर इस पर सभी जिलों से आख्या मांगी है।
दरअसल, वर्ष 2011में भर्ती दरोगा की नवम्बर 2015 से ट्रेनिंग शुरू हुई थी। उन्होंने दो नवम्बर 2015 को ट्रेनिंग के लिए आमद किया था। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वर्ष 2017 में उन्हें जिला आवंटित हुआ और अगस्त 2017 को 105 दारोगा गोरखपुर में ज्वाइन किए। गोरखपुर में इन दारोगा का पीएनओ नम्बर 2017 का आवंटित हुआ। वह 2017 बैच का दरोगा बने। वहीं अन्य जिलों में उसी बैच के दरोगा जब ज्वाइन किए तो उन्हें वर्ष 2015 बैच का पीएनओ नम्बर एलाट हुआ। वहीं 2017 में ट्रेनिंग लेने वाले जब 2018 में गोरखपुर जिले में आमद किए तो उनका बैच 2018 का एलाट हुआ।
गोरखपुर में आमद करने वाले दरोगा इस फैसले से खुश हैं। उनका मानना है कि वे शुरू से ही यही मांग कर रहे थे कि उन्हें एक समान किया जाए। पूरे यूपी में एक व्यवस्था लागू होनी चाहिए। अभी तक अपने साथ ट्रेनिंग करने वालों से ही वे जूनियर हो गए थे। वहीं जिनका अब डिमोशन किया जाना है उनका कहना है कि अफसरों ने ठीक से जांच नहीं कराई है। जब हमें ज्वाइनिंग लेटर मिलता है व ज्वाइन करने के बाद ट्रेनिंग करने जाते हैं वहीं से असल में नौकरी की शुरुआत हो जाती है। इसी लिए ट्रेनिंग की तारीख को ही बैच माना जाता है। यह कैसे हो सकता है कि सिर्फ गोरखपुर सही हो और यूपी के बाकी जिले में गड़बड़ी हो। अगर उनके सीनियारिटी पर आंच आई तो वह कोर्ट जाएंगे।

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