शिवपाल के इस बयान के बाद समाजवादी कुनबे में मची हलचल लखनऊ। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख व सपा विधायक शिवपाल यादव ने एक बार फिर बगावती तेवर दिखाए हैं। वह सपा विधायकों की बैठक में न बुलाए जाने से नाराज हो गए हैं। ऐसे में एक बार फिर मुलायम सिंह यादव के कुनबे में जंग के आसार बढ़ गए हैं। इसी वजह से वह लखनऊ से इटावा चले गए जबकि सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने कहा है कि यह बैठक सपा की थी। इसमें हमारे सहयोगी दल प्रसपा, रालोद, जनवादी पार्टी, महान दल, सुभासपा किसी को नहीं बुलाया गया। सहयोगी दलों के साथ 28 को बैठक है। उसी में शिवपाल यादव समेत सभी सहयोगियों को बुलाया जाएगा। असल शिवपाल का कहना है कि वह सपा के विधायक हैं और इस नाते वह बैठक में आमंत्रण को दो दिन से इंतजार कर रहे थे, जब न्न्योता नहीं आया तो वह यहां से चले गए। अब वह अपने अगले कदम का जल्द ऐलान करेंगे जबकि सपा की दलील है कि शिवपाल सहयोगी दल के नेता हैं। बाद में शिवपाल ने कहा है कि उन्हें विधायक दल की बैठक में क्यों नहीं बुलाया गया? इसका जवाब राष्ट्रीय नेतृत्व ही दे सकता है। सभी विधायकों को फोन गया लेकिन उन्हें फोन नहीं किया गया। मैंने बैठक में शामिल होने के लिए अपने सारे कार्यक्रम रद कर दिए थे। मैं सपा में सक्रिय हूं। विधायक हूं फिर भी नहीं बुलाया गया। उन्होंने कहा कि पार्टी की हार की समीक्षा हो। शिवपाल यादव ने कहा कि जब अपनों और परायों में भेद नहीं पता होता है तब महाभारत होती है। दुर्योधन के बजाय युधिष्ठिर शकुनि से जुआ खेलने लगे, यहीं से उनकी हार तय हो गई। सपा विधायकों में उनकी सबसे बड़ी जीत हुई है, इससे उनकी लोकप्रियता पता चलती है। शिवपाल यादव द्वारा दिए गए इस बयान के बाद समाजवादी कुनबे में हलचल मच गई।