आज़मगढ़ : विशेषज्ञ का पता नहीं, हो जाती है अल्ट्रासाउंड व सीटीस्कैन जांच, लूटे जा रहे मरीज

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धड़ल्ले से चल रहे अवैध जांच केन्द्र, महकमा बेखबर
रिपोर्ट- आरपी सिंह
आजमगढ़। फूलपुर तहसील क्षेत्र में इन दिनों अवैध रूप से संचालित जांच केंद्रों की भरमार हो गई है। बगैर विशेषज्ञ के चल रहे इन जांच केंद्रों पर मरीज लूटे जा रहे हैं और ताज्जुब यह की इस बात से स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह बेखबर है। केवल तहसील मुख्यालय की बात करें तो यहां तीन जगहों पर बगैर रेडियोलॉजिस्ट के सीटी स्कैन व अल्ट्रासाउंड की जांच होती है। जबकि इन जांचों के लिए विशेषज्ञ की नितांत आवश्यकता होती है। क्षेत्र में झोलाछाप डाक्टरों व पैथालॉजी सेंटरों की तो बात ही अलग है।
फूलपुर तहसील क्षेत्र के लगभग सभी छोटी-बड़ी बाजारों में अवैध रूप से संचालित पैथोलॉजी सेंटरों एवं झोलाछाप चिकित्सकों की भरमार है। अप्रशिक्षित लोगों की वजह से ग्रामीण जनता लूटी जा रही है लेकिन स्वास्थ्य विभाग से इसका कोई मतलब नहीं। फूलपुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात डाक्टरों की सलाह पर वहां ईलाज के लिए जाने वाले मरीजों को स्वास्थ्य जांच के नाम पर अवैध रूप से चल रहे इन्हीं सेंटरों पर भेजा जा रहा है, जहां अप्रशिक्षित लोगों द्वारा जांच कर रिपोर्ट बनाई जाती है। सुविधा शुल्क के दम पर सीएचसी पर तैनात सरकारी डाक्टर भी इन जांच रिपोर्ट को सही मानते हैं और इसी आधार पर गंभीर रूप से बीमार मरीजों का इलाज किया जाता है। दुखद पहलू यह है कि क्षेत्र के गरीब मजदूर या किसान जांच के नाम पर अपनी गाढ़ी कमाई लुटते देखने को मजबूर हैं। कारण कि स्थानीय चिकित्सक द्वारा जांच के लिए इलाकाई जांच सेंटरों पर ही जाने की सलाह दी जाती है,जहां से उन्हें मोटा कमीशन उपलब्ध होता है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों अथवा जिले के अधिकारियों को नहीं है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग भी कम जिम्मेदार नहीं। जिला मुख्यालय पर तैनात स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी इन सब बातों से वाकिफ हैं लेकिन उन पर गरीब जनता के लूटे जाने से कोई सरोकार नहीं। यह कहना उचित है कि जिले पर तैनात उच्चाधिकारी एवं स्वास्थ्य महकमा अपने कर्तव्यों का सही निर्वहन नहीं कर रहे, नहीं तो बिना रेडियोलॉजिस्ट एवं टेक्नीशियन के संचालित हो रहे इन जांच केंद्रों पर ताला लग चुका होता। अवैध रूप से चल रहे इन जांच केंद्रों की प्रशासनिक जांच कर गरीब जनता को लूटने से बचाया जा सकता है। इसके लिए संवेदनशील व कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी की जरूरत महसूस हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां के जांच केंद्रों से कराई गई जांच की रिपोर्ट जिला मुख्यालय या फिर अन्य क्षेत्रों में मान्य नहीं की जाती। देखना यह है कि इस व्यवस्था की निगरानी करने वाले जिम्मेदार विभाग द्वारा इस गंभीर समस्या का निदान कैसे किया जाता है।

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