फिर स्टेज पर ही ली आजीवन मूर्ख बने रहने की शपथ
वाराणसी। राजनीतिक वार और धुरंधर हास्य व्यंग की रचनाओं से जब कवियों ने लोगों को गुदगुदाया तो हर कोई ठहाका लगाकर हंस पड़ा। मूर्ख पुरोहित ने गड़बड़ मंत्रों से पुरुष बनी महिला की महिला बने पुरुष से शादी कराई। वहीं मंच पर मौजूद कवियों ने शपथ ली कि ‘हम शपथ लेते हैं कि हम मूर्ख पैदा हुए थे और मूर्ख ही मरेंगे। मूर्खता करना हमारा संवैधानिक अधिकार है। मूर्खता के अधिकार वंचित करने वाली सरकारों की हम मूर्ख समाज के सजग प्रहरी ईंट से ईंट बजा देंगे।’54वें महामूर्ख महोत्सव में डॉ. राजेंद्र प्रसाद घाट पर पुरोहित ने ‘अगड़म बगड़म जूता रगड़म, ब्याह कराऊं पकड़म धकड़म’ के जरिए जब विवाह कराना शुरू किया तो मंच से लेकर घाट तक हंसी की हिलोरें लहरा उठीं। महिला दूल्हा कमलेश वर्मा नगाड़े की धुन पर नाचते हुए विवाह मंडप में आया तो पुरुष दुल्हन अमिलेश वर्मा लंगड़ाते हुए पहुंचे। ऊटपटांग, अवैदिक और अर्थशून्य मंत्र पढ़ते हुए रमेश दत्त पांडेय ने विवाह की रस्मों को पूरा कराया। दुल्हन की दाढ़ी देख दूल्हा भड़क गया और आव देखा न ताव ऐलान कर दिया कि यह शादी उसे मंजूर नहीं है। वह दूल्हन को तलाक दे रहा है। सांड़ बनारसी ने सभी को मूर्खता की शपथ दिलाई। इसके उपरांत प्रयाग के राधेश्याम भारती, बाराबंकी के प्रमोद पंकज, गाजीपुर के फजीहत गहमरी, हरदोई के अजीत शुक्ल, दमदार बनारसी, कल्याण सिंह विशाल, डा. प्रशांत सिंह ने हास्य-व्यंग्य की रचनाओं से सैकड़ों श्रोताओं का मनोरंजन किया। संचालन दमदार बनारसी ने किया। इस दौरान जगदंबा तुलस्यान, श्याम लाल यादव, बनारस बार असोसिएशन के अध्यक्ष धीरेंद्रनाथ शर्मा, मनोज यादव पहलवान, दिलीप सिंह सिसोदिया, दिलीप तुलस्यानी, विनय यादव, सुभाष चंद्र, नंदकुमार टोपीवाला, सुभाष चंद्र आदि का सम्मान किया गया।