विधान परिषद के लिए घोषित प्रत्याशियों में भागीदारी न मिलने पर की टिप्पणी वाराणसी। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने सपा से विधान परिषद के लिए घोषित प्रत्याशियों में भागीदारी न मिलने से निराश हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि जनता को ऐसा लग रहा है कि सपा को अब राजभर की जरूरत नहीं है लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह गठबंधन धर्म को तब तक निभाएंगे, जब तक अखिलेश यादव यह न कह दें कि अब आपकी जरूरत नहीं है। विधान परिषद चुनाव के लिए लखनऊ में सपा के चार प्रत्याशियों ने नामांकन भरा, जिसमें सुभासपा का कोई प्रत्याशी नहीं था। पार्टी सूत्रों के अनुसार ओमप्रकाश राजभर को अपने बेटे अरविंद राजभर के लिए काफी उम्मीद थी। राजभर ने कहा कि सुभासपा का कोई प्रत्याशी न होना हमारी पार्टी नहीं बल्कि राजनीति से आज तक उपेक्षित रही जातियों की उपेक्षा है। बेशक हमारे विधायकों की संख्या कम है, लेकिन जनता तो भागीदारी चाहती है। यही वजह है कि इंटरनेट मीडिया पर सपा प्रत्याशियों को लेकर सवाल पूछ रही है। राज्यसभा के लिए रालोद मुखिया जयंत चौधरी का सपा की ओर से नाम प्रस्तावित करने पर कहा कि राजनीतिक दल जातियों की ताकत के बल पर भागीदारी दे रही हैं। रालोद चौधरी की जाट बिरादरी ताकतवर है, तो उन्हें प्रत्याशी बना दिया। सुभासपा अति पिछड़ी जातियों की राजनीति करती है। सपा ने साबित कर दिया कि वह इनकी उपेक्षा पहले भी करती थी और इस बार भी किया। सपा में भी इसे लेकर काफी असंतोष है और यह बात हाईकमान के लिए भारी पड़ रही है। आजमगढ़ में लोकसभा के उपचुनाव में सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव चुनाव प्रचार के लिए उन्हें लगातार बुला रहे हैं। धर्मेंद्र यादव को जमीनी स्तर पर पता चल गया है कि राजभर के सहयोग के बिना चुनाव नहीं जीता जा सकता है। लेकिन बात जब राज्यसभा व विधान परिषद में सीट की आती है तो उपेक्षा की जाती है।