सपा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा 2024 के चुनाव पर डालेगी दुष्प्रभाव
वरिष्ठ नेताओं की कार्यशैली से सपा के युवा कार्यकर्ता व बेरोजगार निराश आजमगढ़। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के तथाकथित 'नवरत्न' की ओछी कार्यशैली ही सपा की लुटिया डूबो देगी। आखिर छोटे कार्यकर्ता का अपने नेता से मिलना जिले के नेताओं को क्यों नहीं रास आता है। सपा कार्यकर्ताओं की ऐसी उपेक्षा आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में खासा प्रभाव डाल सकती है। बताते चलें कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव सोमवार को जनपद कारागार इटौरा में बंद फूलपुर पवई विधायक व पूर्व सांसद रमाकांत यादव से मिलने पहुंचे। जेल मैनुअल के मुताबिक अखिलेश यादव के साथ सुरक्षाकर्मी व चुनिंदा नेता ही अंदर गये। जेल का गेट बंद होने के बाद सपा नेताओं व कार्यकर्ताओं में अपने नेता से मिलने के लिए धक्का मुक्की होने लगी। इसी बीच कुछ मानिंद सपा नेता एक कार्यकर्ता को पीटना शुरू कर दिये। सपा के वरिष्ठ नेताओं ने बीच-बचाव कर किसी तरह मामला शांत कराया। इस मामले का फौरी तौर पर तो पटाक्षेप कर दिया गया। सपा सुप्रीमो से मिलने की ललक व एक झलक पाने की चाहत हर कार्यकर्ता में थी, लेकिन वरिष्ठ नेताओं द्वारा ऐसी उपेक्षा व अभद्र व्यवहार ने उनके मन में एक टीस पैदा कर दी है। बता दें कि वर्ष 2017 के चुनाव में भी पिछड़े समाज के सपा कार्यकर्ता के साथ मानिंद सपा नेता ने मारपीट किया था। यह मामला भी काफी तूल पकड़ा था, जिसमें सपा के वरिष्ठ नेताओं ने मध्यस्थता करके किसी तरह से मामले को शांत कराया था। जिले के अन्य पिछड़े कार्यकर्ताओं का सम्मान सपा नेता नहीं करते हैं। ऐसे नेताओं की कार्यशैली से सपा के युवा नेताओं व बेरोजगारों में काफी हताशा है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का जब भी जनपद में आगमन होता है तो छोटे कार्यकर्ता उनसे नहीं मिल पाते हैं। सपा के एक छोटे कार्यकर्ता ने अपना दर्द बयां किया कि जब भी पार्टी के मुखिया आते हैं तो हमें नहीं मिलने दिया जाता है। वरिष्ठ नेताओं को शायद डर है कि कहीं छोटे कार्यकर्ता उनकी कमियों की शिकायत मुखिया से न कर दें। इसलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के जनपद में आते ही वरिष्ठ नेता व एमएलए उनकी गाड़ी में बैठ जाते हैं। कार्यकर्ताओं के बीच से यह बात उठ रही है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष इन सब बातों पर गौर क्यों नहीं कर पाते?