आजमगढ़: तिरंगा चौराहे को अभी भी है अपने विशाल तिरंगे का इंतजार!
By -Youth India Times
Friday, August 12, 20222 minute read
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आजादी का अमृत महोत्सव पर पूरा जिला तिरंगामय हो गया पर यहां अभी भी सन्नाटा सरकारी भवन तो जगमग हुए पर शहर के चौराहों पर लगे फुहारे अभी भी निष्क्रिय हैं आजमगढ़। आज पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव पूरे जोशो खरोश के साथ मनाया जा रहा है। आजमगढ़ जनपद में सरकारी फरमान के बाद शासन-प्रशासन द्वारा अमृत महोत्सव को सफल बनाने के लिए ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की शत प्रतिशत सफलता के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया गया है। वहीं एक सवाल सबके मन उठ रहा है कि जब ‘हर घर तिरंगा’ का आहवान है तो फिर नरौली का तिरंगा चौराहा सूना क्यों है। बता दें कि नरौली तिरंगा चौराहा जनपद में अपने आप में एक शान रहा है। तिरंगा चौराहा पर फहराये जाने वाला विशालकाय तिरंगे ने जनपद को एक नई पहचान दी थी लेकिन यह बस कुछ ही दिन चला, फिर तिरंगा चौराहा से तिरंगा हटा दिया गया और सिर्फ विशेष उत्सव पर ही तिरंगा फहराया जाता है। आज पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव अति विशेष उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। सरकार द्वारा ‘हर घर तिरंगा’ लगाने की अपील की गयी और उसका असर चारो तरफ नजर भी आ रहा है, लेकिन इसी के साथ एक बड़ा सवाल भी उठ रहा है कि नरौली तिरंगा चौराहा पर क्यों नहीं राष्ट्रीय ध्वज फहराया जा रहा है। बताते चलें कि पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती इन्दिरा देवी जायसवाल के कार्यकाल में नरौली टैक्सी स्टैंड पर एक बड़ा पार्क विकसित कर क्षेत्र को तिरंगा चौराहे का ऐतिहासिक नाम दिया गया था। वजह यहां पार्क के मध्य में अति विशाल तिरंगा झंडा फहराया जाता था। नगर पालिका के इतिहास में यह एक बड़ा ऐतिहासिक कदम था, जो पूरे जनपद ही नहीं प्रदेश में चर्चा का विषय बना। उक्त तिरंगा चौराहा बनाने का प्रस्ताव सीताराम मोहल्ले के निवर्तमान सभासद और केदारनाथ कन्नौजिया के प्रस्ताव पर निवर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा उस तिरंगे चौराहे का निर्माण करवाया गया। आज जब पूरे देश में हर-घर तिरंगा का अभियान चलाया जा रहा है और नरौला तिरंगा चौराहा का सूनापन सबके जुबां पर सवाल खड़ा कर रहा है। वहीं पूर्व पालिका अध्यक्ष के प्रतिनिधि रहे उनके पुत्र ने भी सवाल उठाया की जब अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है तो उस समय शहर भर में स्थापित किए गए रंगीन प्रकाश युक्त फव्वारे क्यों नहीं चालू किए जा रहे हैं। जिससे की अमृत महोत्सव की शान बढ़ती।