आजमगढ़ पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत

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कहा जबरदस्ती किसानों की जमीन कोई नहीं ले पायेगा
लामबन्द रहेंगे तो सरकार कुछ नहीं कर पायेगी-टिकैत
आजमगढ़। जीवन-जमीन बचाने के लिए पिछले 28 दिनों से संघर्ष कर रहे किसान-मजदूरों के संघर्ष में शामिल होते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि एक भी किसान अपनी जमीन नहीं देना चाहेगा तो उसकी लड़ाई मैं यहां लड़ूंगा. यहां एक भी किसान जमीन देने को तैयार नहीं है ऐसे में किसी भी हालत में यहां एयरपोर्ट नहीं बनाया जा सकता है. उन्होंने जिलाधिकारी को चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी तरह के उत्पीड़न की कार्रवाई में न की जाएं नहीं तो खिरिया का मैदान देश के किसानों के बड़े आंदोलन का मैदान होगा. जबरदस्ती किसानों की जमीन कोई नहीं ले पायेगा।  टिकैत ने कहा कि जमीन की लड़ाई आदिवासियों से सीखनी चाहिए कि वो किस तरह से सेना तोप के आगे जमीन बचाने की लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं. ये संघर्ष लंबा है हम किसानों के साथ हैं. शांति एकता के जरिए ही आन्दोलनों की जीत होती है. उन्होने कहा कि यह आंदोलन तभी खड़ा हो पाएगा, जब लोग अपनी जमीन का अधिग्रहण नहीं कराएंगे। उन्होंने पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में टाटा फैक्ट्री और राजस्थान के जालौर में अडाणी के रिफाइनरी प्लांट का उदाहरण देते हुए कहा कि विरोध के चलते लोगों को लौटना पड़ा। राकेश टिकैत ने कहा कि आजमगढ़ में मंदुरी में जो वर्तमान हवाई पट्टी है उसी से काम चलाना चाहिए, विस्तारीकरण के नाम पर जबरदस्ती किसानों की हरी-भरी खेती वाली जमीनों को नहीं लेना चाहिए, किसान कहां जाएंगे। ग्रामीणों को मुआवजे के लालच के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि अगर ऐसा होगा तो फिर आंदोलन नहीं खड़ा हो पाएगा। खुद के बारे में राकेश टिकैत ने कहा कि वह आंदोलन में तभी साथ देंगे जब कोई किसान एक भी जमीन न बेचे। इसके बाद देखते कि सरकार कैसे जमीन लेती है। उन्होंने विपक्षी दलों के नेताओं को भी आवाहन किया कि उनको किसानों के साथ लगातार खड़ा रहना चाहिए। भारतीय किसान यूनियन के नेता राजवीर सिंह जादौन ने कहा की जमीन, मकान के बाद आने वाले समय में जान बचाने की लड़ाई लड़नी होगी. आठ गांवों का सवाल है आप और ताकत लगाइये. हिंदुस्तान के किसान को जाति-धर्म  में नहीं बटना चाहिए. सभा की अध्यक्षता रामनयन यादव, संचालन किसान नेता राजीव यादव ने की. बता दें कि एक दिन पहले ही इस किसान पंचायत में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर व पूनम पंडित भी आई थी और उन्होंने भी अधिग्रहण के प्रस्ताव के खिलाफ मोर्चा खोला था।

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