_कोई भी विद्यालय शिक्षक के बिना किसी महत्व का नहीं होता है : जिलाधिकारी_
आजमगढ़। मिशन रोजगार के अंतर्गत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आज प्रदेश के शासकीय माध्यमिक विद्यालय हेतु चयनित 1995 प्रवक्ता/सहायक अध्यापकों को ऑनलाइन पदस्थापन एवं नियुक्ति पत्र वितरित किया गया।इसी क्रम में नेहरू हाल आजमगढ़ में जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज की अध्यक्षता में जनपद के 8 सहायक अध्यापक एवं 52 प्रवक्ताओं को नियुक्ति पत्र का वितरण किया गया।
इस अवसर पर नवनियुक्त प्रवक्ता/सहायक अध्यापकों को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में आप सभी को आगामी जीवन के संबंध में महत्वपूर्ण मूल मंत्र दे दिया है। उन्होंने कहा कि हम सभी शासकीय कर्मचारियों को शासकीय दायित्वों के निर्वहन के वक्त मूल मंत्रों का ध्यान रखना चाहिए, चाहे वह शिक्षक हो या प्रशासनिक अधिकारी या अन्य कर्मचारी हो। इस राज्य की जनता द्वारा दिए गए टैक्स से हमें सैलरी मिलती है। उन्होंने कहा कि बजट का सबसे बड़ा हिस्सा शिक्षा के क्षेत्र में दिया जाता है, उसमें से लगभग 90 प्रतिशत शिक्षकों की सैलरी में दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि इस पृष्ठभूमि पर सोचोगे तो आप सभी का दायित्व और अधिक बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि समाज में अध्यापकों का महत्वपूर्ण योगदान है एवं बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी है। उन्होंने कहा कि लगभग एक करोड़ बच्चे माध्यमिक शिक्षा के सरकारी विद्यालयों एवं वित्त पोषित विद्यालयों में पढ़ते हैं तथा इन सभी बच्चों का भविष्य वहां पर पढ़ाने वाले अध्यापकों के हाथों में है। विद्यालयों का सबसे बड़ा ऐसेट वहां के अध्यापक हैं। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षक अच्छे हैं तो उनके विद्यार्थियों में दिखता है, उसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर भी दिखता है। उन्होंने कहा कि यदि युवा शिक्षित एवं ट्रेंड हैं तो वे अपने परिवार, प्रदेश एवं राष्ट्र के महत्वपूर्ण ऐसेट हैं। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक युवा भारत में है तथा आने वाले 20-25 वर्षों में अपने देश के साथ ही विश्व की अर्थव्यवस्था को चलाने का भी बीड़ा उठाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि यदि युवा पढ़ा-लिखा एवं उनमें संस्कार हो, उनमे अनुशासन हो, तो वह उसके अध्यापकों एवं माता-पिता का योगदान होता है। उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालयों के कायाकल्प की योजना का प्रारंभ वर्तमान सरकार जब 2017 में आई थी, तब प्रारम्भ की गई थी।
जिलाधिकारी ने कहा कि ग्राम्य विभाग के जितने भी बजट आते हैं, सबसे पहले विद्यालयों में लगाया जाता है, ताकि सरकारी विद्यालय निजी विद्यालयों की श्रेणी में आ जाए। उन्होंने कहा कि कई सरकारी विद्यालय ऐसे हैं, जो किसी भी प्राइवेट विद्यालयों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी विद्यालय शिक्षक के बिना किसी महत्व के नहीं होते हैं, शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर हो, सेवा संबंधी समस्याओं का निराकरण सही समय पर एवं पारदर्शी होना चाहिए। शिक्षकों की नियुक्ति समय से की जाए। शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए पूरा शिक्षा विभाग लगातार 5-6 साल से कार्य कर रहा है, उसी कड़ी में आज आप सभी की नियुक्ति का कार्यक्रम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आप सभी के सहयोग से बेसिक की तरह ही माध्यमिक शिक्षा भी और बेहतर होगी। आप अपने विद्यालयों के छात्रों को उसी प्रकार शिक्षा देंगे, जिस तरह प्राइवेट एवं कॉन्वेंट विद्यालय में शिक्षा दी जाती है।
उन्होंने कहा कि पहले के समय में जीआईसी एवं जीजीआईसी के अध्यापक सबसे अच्छे माने जाते थे, विगत वर्षों में अध्यापकों की उपलब्धता कम होने से शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आई है, परंतु सरकार पुरानी शिक्षा की गुणवत्ता को लाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि नौकरी प्राप्त होने के बाद भी ज्ञान अर्जित करते रहें और भविष्य में आगे जाने के प्रयास करते रहे। नया इज नया इनोवेशन के माध्यम से बच्चों को आकर्षित करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि आपके माध्यम से परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, ऐसी हम कामना करते हैं।
इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी प्रशासन अनिल कुमार मिश्र, जिलाध्यक्ष आजमगढ़ ध्रुव सिंह, जिलाध्यक्ष लालगंज ऋषिकांत राय, सांसद प्रतिनिधि एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।