आजमगढ़: वीडियो! किसान नेता राजीव यादव को एसटीएफ ने उठाया

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मैग्सेसे अवार्डी संदीप पांडेय ने बताया सादी वर्दी में बिना नम्बर की गाड़ी से आये थे लोग
आजमगढ़/वाराणसी। खिरियाबाग में चल रहे किसानों के आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता राजीव यादव और उनके भाई को वाराणसी के चोलापुर थाना क्षेत्र के पास एसटीएफ द्वारा उनको उनकी गाड़ी से उतारकर हिरासत में ले लिया गया। इस बावत सामाजिक कार्यकर्ता मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडेय ने बताया कि वे लोग सादी वर्दी में आये और राजीव और उनके साथ के लोगों से अभद्रता भी की, वे लोग उनको कहां ले गये इस बात की कोई जानकारी नहीं है। वे सभी लोग बिना नम्बर की गाड़ी से आये थे।
बताते चलें कि सामाजिक कार्यकर्ता मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडेय और उनके साथियों को शनिवार सुबह वाराणसी कैंट स्टेशन पर पुलिस ने हिरासत में लिया। वो आजमगढ़ जिले में मंदुरी हवाई अड्डा विस्तारीकरण के विरोध में कचहरी स्थित अंबेडकर चौराहे से निकाली जाने वाली किसान पद यात्रा को नेतृत्व करने वाले थे। पुलिस ने पदयात्रा की अनुमति न होने, धारा-144 लागू होने और कोविड प्रोटोकॉल का हवाला देकर डॉ. संदीप और उनके साथियों को वाराणसी में रोका। कई घंटे तक पुलिस लाइन स्थित गेस्ट हाउस में रखे जाने के बाद संदीप पांडेय को लेकर पुलिस लखनऊ के लिए रवाना हो गई।
डॉ. संदीप पांडेय ने कहा कि आजमगढ़ में मंदुरी हवाई अड्डा विस्तारीकरण के विरोध में बीते 73 दिन से आंदोलन चल रहा है। इस आंदोलन में मेधा पाटकर और राकेश टिकैत लोग भी शामिल हो चुके हैं। आज पता नहीं पुलिस ने हमें क्यों रोक लिया। बताया गया है कि लॉ एंड ऑर्डर की व्यवस्था बिगड़ जाएगी। संदीप पांडेय ने कहा कि अब हमलोग किसान पदयात्रा कार्यक्रम को स्थगित कर रहे हैं। अब 26 दिसंबर को आंदोलन के 75 दिन पूरे होंगे तो आजमगढ़ में बड़ा आंदोलन होगा। अब हमलोग उसमें शामिल होंगे। मंदुरी हवाई अड्डा विस्तारीकरण के विरोध के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि लखनऊ में एयरपोर्ट मात्र 80 एकड़ में है जबकि आजमगढ़ में सरकार 670 एकड़ जमीन अधिग्रहित करना चाह रही है। यह बात वहां के किसानों के समझ में नहीं आ रही है। सभी के दिमाग में यही बात है कि यहां की जमीन लेकर अदाणी को देने की तैयारी है। अधिग्रहित जमीन के लिए मुआवजा देने की बात पर उन्होंने कहा कि कृषि योग्य भूमि का कोई विकल्प नहीं है। सारा व्यवसाय बंद हो सकता है। कोरोना में ऐसा हमलोग देख चुके हैं। लेकिन खेती हमेशा चलती रहती है। खेती के लिए ऊपजाऊ जमीन पर एयरपोर्ट बनाने की योजना लोगों की समझ से परे है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसानों की ये लड़ाई मुआवजे के लिए नहीं बल्कि अपनी जमीन बचाने के लिए है।

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