रिपोर्ट : वेद प्रकाश सिंह लल्ला
आजमगढ़। विदेशी धरती पर देश को शून्य से शिखर तक पहुंचा कर विदेशी धर्मगुरुओं की बोलती बंद करने वाले स्वामी विवेकानन्द जी जैसे मां भारती के सिर पर लगे ताज को आध्यात्मिक नगीनों से जड़ दिया वैसे ही भारत मां के वीर सपूतों में एक नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने गुलामी की जंजीरों से जकड़ी भारत माता को दासता से मुक्त कराने का जो संकल्प लिया आज उसी आत्मबल का सुखद परिणाम है कि हम देशवासी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। अब तो देश के युवाओं की भी सोच बदलने लगी है। अमर सपूतों की शौर्यगाथा से प्रेरित युवा यदि उनकी प्रेरणा को आत्मसात कर लें तो वह दिन दूर नहीं जब भारत वर्ष एक बार फिर अपने आत्मबल के दम पर विश्वगुरु बनने की मंजिल पार कर सकता है। उक्त बातें चिकित्सा एवं शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाले समाजसेवी ऋत्विक जायसवाल ने नगर के अग्रसेन महिला महाविद्यालय परिसर में आयोजित स्वामी विवेकानन्द जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कही।उन्होंने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी से कराह रहे देशवासियों को आजादी दिलाने में हजारों वीर नायकों ने अपनी कुर्बानी दी तब जाकर हमें आजादी मिली है। आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो इसमें सबसे बड़ा योगदान आध्यात्मिक एवं मां भारती के उन वीर सपूतों का रहा जिन्होंने इसके लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। इन्हीं वीर नायकों की शौर्य गाथा से प्रेरित होकर अब देश के युवाओं की सोच बदली है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि देश ने अभी कुछ दिनों पहले घर -घर पर देश की आन-बान और शान का प्रतीक तिरंगा झंडा फहरा कर विश्व रिकार्ड बना दिया। देश के नीति नियम ताऊ की सफल नीतियों का परिणाम सभी ने कोरोनावायरस संक्रमण काल में देखा इतनी बड़ी आबादी के देश में जितनी जल्दी से इस बीमारी पर काबू पाया गया उसके लिए हम देश के प्रधानमंत्री और उनकी सरकार तथा अपने देश के वैज्ञानिकों का भी आभार व्यक्त करते हैं जिनकी वजह से हम सभी ने इसमें वासविक महामारी पर समय रहते मजबूती से खड़े हो गए। इन्हीं सब बातों को कहते हुए श्री जायसवाल ने देश के युवाओं को एक बार फिर आत्मनिर्भर बनने के साथ अपने अंतरात्मा की आवाज को टटोलने की अपील की जिससे एक बार फिर देश को विश्व गुरु बनाया जा सके इस मौके पर समाजसेवी प्रवीण सिंह, डा० दुर्गा प्रसाद अस्थाना, डा० भक्तवत्सल, प्रभु नारायण पाण्डेय प्रेमी, कृष्ण मोहन तिवारी, रवीन्द्र राय, राजेन्द्र प्रसाद यादव समेत तमाम प्रबुद्धजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन विभाष सिन्हा ने किया।