आजमगढ़ : सूडान से लौटे भारतीयों ने सुनाई डर व खौफ की दास्तां

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कहा देवदूत के रूप में आई देश की नौसेना, सरकार और पीएम को दिया धन्यवाद
आजमगढ़। एक सप्ताह तक नहीं सोए थे, सुबह- शाम भोजन मिल जाता था, लेकिन डर और भय का आलम ऐसा था कि रूह कांप उठती थी। जब देश की नौ सेना की जहाज में सवार हुए तो जान में जान आई। देश वापसी पर सरकार और प्रधानमंत्री का जितना तहे दिल से धन्यवाद किया जाए, कम है। यह कहना था सूडान से घर वापस लौटे लोगों का। मुबारकपुर के मोईनाबाद के मनजीत ने बताया कि वह 21 सितंबर को स्टील प्लांट में काम करने के गए थे। बताया कि सूडान में दंगा होने लगा। स्थिति काफी भयावह हो गई थी। अब समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे घर पहुंचा जाए। उन्होंने बताया कि 23 अप्रैल को सूडान सरकार और भारतीय दूतावास के सहयोग से सूडान पोर्ट पर लाया गया। वहां पर एक रात पोर्ट के बाहर स्कूल में ठहराया गया। यहां से 25 अप्रैल को इंडियन नेवी समुद्री जहाज पर सवार होकर आइनस सुमेंदा सऊदी के जिद्दा एयर पोर्ट लाया गया। जिद्दा एयर पोर्ट पर सभी भारतीयों का स्वागत किया गया। यहां से हटकर एयर पोर्ट से कुछ दूरी पर इंडियन नेशनल स्कूल जिद्दान में सभी भारतीय को रोक कर रखा गया। जहां समय पर भोजन मिल जाया करता था। अगले दिन 26 अप्रैल को जिद्दा एयर पोर्ट से फ्लाइट हुई और वहां से भारत के इंदिरा एयर पोर्ट दिल्ली लाया गया।
यहां पर यूपी बस से उत्तर प्रदेश भवन पर लाया गया। यहां भोजन करने के बाद बस से बनारस लाया गया। जहां से जिलाधिकारी ने सभी को चार पहिया वाहन से घर पहुंचाया। जीयनपुर के आसपुर घांघरा लाटघाट निवासी अजीत पटेल पुत्र विदेशी ने बताया कि वह बीते 23 मई को ओमेगा स्टील कंपनी में काम करने गए थे, लेकिन सूडान में गृह युद्ध की भयावहता को देख रूह कांप उठी। इस दृश्य को देख और सुनकर डर से बीते कई दिनों तक सोया ही नहीं था। अब बस घर पहुंचने की चिंता सता रही थी। जब नौसेना का जहाज आया तो वह दृश्य देवदूत से कम नहीं था, जिन्होंने वहां से निकालकर सुरक्षित आज घर पहुंचाया। इसके लिए अजीत की मां चंद्रकला देवी, पत्नी ओशीला व अन्य परिजनों ने सरकार का धन्यवाद दिया।

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