कुचक्र रचकर राज्य सरकार पर विपक्ष के विधायकों की सदस्यता खत्म करने का लगाया आरोप चंदौली। विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) दीपक मिश्रा की अदालत ने बुधवार को चंदौली जिले के सकलडीहा से सपा विधायक प्रभुनारायण यादव और उनके छोटे भाई अनिल यादव को तीन महीने की सजा सुनाई है। विधायक के अधिवक्ता ने जमानत की अर्जी लगाई, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने विधायक व उनके भाई को जमानत दे दी। मामला वर्ष 2015 का था। जिला पंचायत चुनाव में प्रभुनारायाण यादव के भाई अनिल यादव चहनिया क्षेत्र के सेक्टर नंबर चार से प्रत्याशी थे। आरोप था कि चुनाव प्रचार दौरान कार्यकर्ताओं के साथ एक विद्यालय में बैठक कर रहे तत्कालीन भाजपा विधायक सुशील सिंह को घेर लिया गया। नोकझोंक और मारपीट भी हुई। इस मामले में प्रभुनारायण यादव व उनके भाई अनिल यादव के खिलाफ बलुआ थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। जब मुकदमा दर्ज हुआ था, तब प्रभुनारायण विधायक नहीं थे। इस कारण चार्जशीट सीजेएम की अदालत में दाखिल की गई। बाद में प्रभुनारायण विधायक बन गए, फिर मामला एमपी-एमएलए कोर्ट में स्थानांतरित हो गया। बुधवार को विशेष न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई की और सपा विधायक व उनके भाई को दोषी करार देते हुए तीन महीने की सजा सुना दी। अब विधायक मामले की अपील जिला जज अदालत में करेंगे। विधायक के अधिवक्ता संदीप यादव ने बताया कि प्रभुनारायण यादव और उनके भाई अनिल यादव को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में कुछ धाराओं में बरी कर दिया, लेकिन दो धाराओं में दोषी पाया। अदालत के फैसले के तुरंत बाद जमानत की अर्जी लगाई गई, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए दोनों को जमानत दे दी। विधायक प्रभुनारायण यादव ने कहा कि 2015 के एक पुराने मामले में अदालत का फैसला आया है। अदालत के फैसले का सम्मान है, लेकिन सरकार की मंशा पर सवाल है। आज ही अदालत ने आजम खान को उस प्रकरण में बरी किया है, जिसमें उन्हें सजा हुई थी। सजा के बाद आजम खान की सदस्यता भी चली गई थी। इस तरह के हथकंडे अपनाकर और कुचक्र रचकर राज्य सरकार विपक्ष के विधायकों की सदस्यता खत्म करना चाहती है।