खुद ही निकल पड़ती हैं जेसीबी के साथ रामपुर। दिग्गज नेता आजम खान के गढ़ रामपुर में सपा को हराकर नगर पालिका अध्यक्ष बनीं सना खानम के आजकल चर्चे हैं। कभी शिक्षिका बन बच्चों को तालीम देने वाली सना की जिंदगी ने रातोंरात ऐसी करवट ली कि वो शहर की प्रथम नागरिक बन गईं। ऐसे में जब स्थानीय निकाय में अधिकतर महिला जनप्रतिनिधियों के नाम पर उनके पति सियासत की रोटियां सेंक रहे होते हैं। लोगों की शिकायतें सुनने के बजाय वे अफसरों की ओर उंगली उठा देते हैं, सना सियासत की नई इबारत लिख रही हैं। शिक्षिका से सियासी सफर शुरू करने वाली सना ने मानसून की पहली बारिश में शहर में जगह-जगह हुए जलभराव के बीच खुद नाले साफ कराए। कहीं से जलभराव, गंदगी या किसी बड़ी समस्या की जानकारी मिलती है तो सना खुद जेसीबी से लैस टीम लेकर निकल पड़ती हैं। रामपुर वालों के लिए सियासत का यह नया लेकिन सुखद चेहरा है। शहर के नासिर अली खां की बेटी सना खानम ग्रेजुएट हैं। उन्होंने यहां एक निजी स्कूल में शिक्षिका की जॉब शुरू की। घर से स्कूल और स्कूल से घर। एक सामान्य व्यक्ति की तरह उनकी जिंदगी चल रही थी, कोई सियासी बैकग्राउंड नहीं, जो उन्होंने कभी चेयरमैन बनने का ख्वाब भी देखा हो। कांग्रेस के नगराध्यक्ष रहे मामून शाह पिछले कई सालों से पालिकाध्यक्ष का चुनाव लड़ने का सपना संजोए हुए थे। मामून के सपने को उस वक्त धक्का जब रामपुर नगरपालिका की सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई। करीब 45 साल के हो चुके मामून शाह की शादी नहीं हुई थी। महिला सीट होने की स्थिति में वह चुनाव नहीं लड़ सकते थे। ऐसे में उन्होंने चुनाव लड़ने का गजब का रास्ता निकाला। 15 अप्रैल की रात को उन्होंने बिना किसी पूर्व तैयारी के फटाफट निकाह करके सना खानम को अपना शरीके हयात बना लिया। अगले दिन 16 अप्रैल को ही सुबह उन्होंने वर्षों पुराना कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। तेजी से बदले घटनाक्रम में उसी दिन दोपहर को अपनी नई नवेली दुल्हन के साथ आम आदमी पार्टी में शामिल होने का एलान कर दिया। आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर आए मामून शाह की नई नवेली दुल्हन के लिए पूर्व घोषित प्रत्याशी अर्श इकबाल का टिकट काट दिया और सना खानम को रामपुर पालिकाध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी घोषित किया। सना ने 16 अप्रैल की दोपहर बाद नामांकन दाखिल कर दिया। नामांकन के बाद नई नवेली दुल्हन और उनके शौहर मामून शाह खां ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया। एक ओर सत्तादल की प्रत्याशी तो दूसरी ओर सपा प्रत्याशी और तत्कालीन निवर्तमान चेयरमैन और उनके साथ आजम का रसूख...। इस सबके बीच मामून शाह और उनकी पत्नी सना खानम कभी स्कूटी से तो कभी पैदल ही घर-घर पहुंचे। शहर की आवाम ने भी नई नवेली दुल्हन को मुंह दिखाई में चेयरमैन की कुसी दे दी। उन्होंने न केवल आम आदमी पार्टी के टिकट से सीट जीती बल्कि अपनी कार्य शैली से साबित भी किया कि वह आम आदमी की ही जन प्रतिनिधि हैं। लोगों की समस्याएं खुद सुनती हैं और खुद ही उसके निराकरण का प्रयास करते हैं। वर्षों पुराने सियासतदां भी मानते हैं कि उनकी कार्यशैली किसी मंझे हुए नेता की तरह लगती है। पालिकाध्यक्ष सना खानम ने कहा कि अवाम ने जिस भरोसे से मुझे चेयरमैन की कुर्सी की जिम्मेदारी दी है, उसे निभाना ही अब मेरा मकसद है। अवाम को पालिका के अधिकार क्षेत्र में आने वाली सुविधाएं मुहैया हों, इसका प्रयास पहले दिन से ही कर रही हूं। कोशिश है, रामपुर को अच्छा शहर बना सकूं।