गठबंधन से पहले इन 37 सीटों पर अखिलेश का फोकस लखनऊ। लोकसभा चुनाव में भले ही कुछ महीने ही बाकी रह गए हैं, लेकिन सपा ने अपनी जोर आजमाइश शुरू कर दी है। समाजवादी पार्टी पहले 37 सीटों पर फोकस करने जा रही है। पिछली बार बसपा के गठबंधन के तहत अपने हिस्से में आई इन सीटों पर पहले तैयारी कर लेना चाहती है। बाकी सीटों पर भी पार्टी संगठन को मजबूती दी जा रही है। माना जा रहा है 2017 में विधानसभा चुनाव में गठबंधन के बाद 2024 में सपा अब कांग्रेस से गठबंधन कर सकती है। गठबंधन की सूरत में कांग्रेस को सपा कितनी सीटें देगी? यह बाद में तय होगा। विपक्षी एका की मुहिम के तहत विपक्षी दलों की पटना के बाद दूसरी बैठक अगले महीने बंगलुरू में होनी है। सपा मान कर चल रही है कि इसमें भाजपा के खिलाफ हर राज्य में एक संयुक्त उम्मीदवार देने की मुहिम आगे बढ़ेगी। ऐसे में यहां भी उसे गठबंधन के तहत कांग्रेस के लिए कुछ सीटें छोड़नी होगी। बदले हालात में कांग्रेस की ओर से कितनी सीटों की मांग आएगी और अखिलेश यादव कितनी सीटें देंगे, यह जल्द साफ होगा। अखिलेश यादव पुराने सहयोगी रालोद को भी दो तीन सीटें दे सकते हैं जबकि अन्य सहयोगियों को भी एक या दो सीट दी जा सकती हैं। पार्टी सूत्र बताते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठजोड़ के कारण पिछली बार न लड़ने वाली सीटें भी सपा के लिए चुनौती हैं। पिछली बार यहां से पार्टी के दावेदार बसपा को सीट चली जाने के कारण मायूस हो गए थे। लोकसभा चुनाव के लिहाज से यहां संगठन को मजबूती देने का काम भी जल्द शुरू होगा। इन सीटों में अब कांग्रेस के खाते में 10 से ज्यादा सीटें जा सकती हैं। पिछली बार सपा ने कांग्रेस से गठबंधन न होने के बाद भी अमेठी व रायबरेली में अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था। कुछ समय पहले अखिलेश ने इन सीटों पर सपा के प्रत्याशी आने की बात भी कही थी लेकिन अब बदले हालात में कांग्रेस व सपा दोनों गठबंधन को लेकर बड़ा दिल दिखाने को तैयार दिखते हैं और इन पर विपक्षी दलो की मुहिम का दबाव भी बनेगा। सपा ने बसपा के साथ गठबंधन में 37 सीटें लड़ी थीं। यह सीटें कैराना, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, गाजियाबाद, हाथरस, फिरोजबाद, मैनपुरी, बदायूं, एटा, बरेली, पीलीभीत, खीरी ,हरदोई, उन्नाव, लखनऊ, इटावा, कन्नौज, कानपुर, झांसी, बांदा, कौशाम्बी, फूलपुर, इलाहाबाद, बाराबंकी ,फैजाबाद, बहराइच, गोंडा महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, आजमगढ़, बलिया, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर व राबर्टसगंज हैं। तीन रालोद लड़ा था। दो सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी गई थीं। बसपा ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा। तीन सीटें रालोद को लड़ने के लिए मिली थीं। दो सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी गई थीं। बसपा ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा।