भ्रष्टाचार के आरोप पर दो आईएएस के खिलाफ लोकायुक्त जांच शुरू

Youth India Times
By -
2 minute read
0
लखनऊ। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार पर पद का दुरुपयोग करने और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच लोकायुक्त संगठन ने शुरू कर दी है। लोकायुक्त संगठन में हुई शिकायत में उप्र लघु उद्योग निगम लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक रामयज्ञ मिश्रा पर भी भ्रष्टाचार अंजाम देने का आरोप लगाया गया है। लोकायुक्त संगठन के सचिव अनिल कुमार सिंह ने दोनों आईएएस अधिकारियों को नोटिस जारी कर 6 सितंबर तक स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है।
मामला शाहजहांपुर जिले में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम की स्थापना से संबंधित है। यह कार्य उप्र लघु उद्योग निगम लिमिटेड को सौंपा गया, जो कि कार्यदायी संस्था नहीं थी। बाद में निगम ने यह कार्य प्रयागराज की फर्म मेसर्स मैक्सवेल टेक्नोलॉजी को दे दिया, जिसे ऐेसे कार्य का कोई पूर्व अनुभव नहीं था। बता दें कि लखनऊ निवासी समाजसेवी मोनिका सिंह ने लोकायुक्त संगठन में इस प्रकरण की शिकायत की थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रमुख सचिव ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए प्रयागराज की फर्म को कार्य आवंटित करने के मकसद से ही लघु उद्योग निगम को कार्यदायी संस्था नामित किया। इसके अलावा निविदा में किए गए परिवर्तनों के लिए निगम पर कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं, निगम के एमडी रामयज्ञ मिश्रा (वर्तमान में विशेष सचिव चिकित्सा शिक्षा) ने शुरुआत से ही प्रयागराज की अपनी चहेती फर्म के साथ साठगांठ कर निविदा आवंटित करने की योजना बना ली थी। उन्होंने विभाग की विशिष्टियों से छेड़छाड़ कर उसमें से गुणवत्ता प्रमाण पत्रों को हटवा दिया। निगम को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य संबंधी प्रणालियों की स्थापना कायों का कोई अनुभव नहीं था।
कूटरचित दस्तावेज लगाए-मोनिका सिंह का आरोप है कि प्रयागराज की फर्म ने निविदा में जो अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए थे, वे सभी कूटरचित एवं फर्जी थे। इनको लघु उद्योग निगम ने कभी सत्यापित भी नहीं कराया। वहीं शासन के अधिकारियों ने जानबूझकर निविदा में निगम की मनमानी होने दी। निविदा की सूचना को ई-टेंडर की वेबसाइट पर अपलोड नहीं कराया गया। इस निविदा में अभी तक बिड ओपनिंग दर्शा रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि निगम के अधिकारी निविदा की सूचना को सार्वजनिक नहीं करना चाहते थे। इस प्रकरण की शिकायत दो वर्ष पूर्व भी लोकायुक्त संगठन से की गई थी। तब मैंने अपना जवाब भी दाखिल किया था, जिसके बाद लोकायुक्त संगठन ने प्रकरण समाप्त कर दिया था। दोबारा उसी शिकायत को किसी अन्य नाम से प्रस्तुत किया गया है। इसका जवाब नियत अवधि के अंदर प्रस्तुत कर दिया जाएगा। - आलोक कुमार, प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)
Today | 9, April 2025