लखनऊ। अपने खेल और कार्यों के कारण चर्चा में रहने वाले आईएएस अधिकारी सुहास एलवाई की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं। लोकायुक्त ने प्रयागराज में डीएम रहते हुए पद का दुरुपयोग करने का आरोप सुहास एलवाई पर लगाते हुए उच्च स्तरीय जांच कराने की सिफारिश की है। आरोप है कि प्रयागराज के हरीश टंडन के नजूल भूखंड को फ्री होल्ड किए जाने के मामले में अत्यंत जल्दबाजी और मनमानेपूर्ण ढंग से कार्रवाई करने का आरोप है। सुहास एलवाई इस समय सचिव खेल के पद पर तैनात हैं।
प्रयागराज के अभिषेक टंडन की ओर से दायर परिवाद पर लोकायुक्त ने तत्कालीन डीएम सुहास एलवाई के विरुद्ध यह जांच शुरू की थी। इसमें यह कहा गया था कि परिवादी के पिता हरीश टंडन के नाम सिविल स्टेशन प्रयागराज में नजूल भूमि का पट्टा है जो आगामी 31 दिसंबर 2061 तक वैध है।
भूखंड फ्री होल्ड किए जाने के हरीश टंडन के प्रत्यावेदन पर वर्ष 2017 में तत्कालीन डीएम संजय कुमार ने प्रमुख सचिव आवास को पत्र लिखा था कि याची के भूखंडों को एक दिसंबर 2018 के शासनादेश के अनुसार तत्समय परिवर्तित सर्किल रेट के अनुसार फ्री होल्ड किए जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने बाद में इस बारे में शासन को अनुस्मारक भी भेजा। इसी बीच 26 अक्तूबर 2017 को सुहाल एलवाई ने डीएम का पदभार संभाला।
जांच रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख सचिव आवास ने नवागत डीएम से हरीश टंडन के भूखंड फ्रीहोल्ड मामले में उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 के आदेश के अनुपालन में उनका मंतव्य जानना चाहा, जबकि पूर्व डीएम द्वारा स्थिति स्पष्ट की जा चुकी थी। इस पर तत्कालीन डीएम सुहास एलवाई ने 10 जनवरी 2018 को प्रमुख सचिव आवास को पत्र भेजा गया।
अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस प्रकरण में उच्च स्तरीय जांच इस संबंध में कराई जाए कि क्या आरोपी लोक सेवक द्वारा जो कार्रवाई की गई और शासन को जो रिपोर्ट भेजी गई, वह पद का दुरुपयोग करते हुए हरीश टंडन को अनुचित कष्ट पहुंचाने के उद्देश्य से तो नहीं की गई है? और क्या उनकी यह कार्रवाई अत्यंत जल्दबाजी व मनमानेपूर्ण ढंग से की गई है?
इस पत्र में हरीश टंडन के भूखंडों को स्मार्ट सिटी के लिए सार्वजनिक उपयोग, राजकीय संस्थाओं के उपयोग और इलाहाबाद विकास प्राधिकरण के प्रयोग में लेने के उद्देश्य से पुनर्ग्रहण किए जाने का प्रस्ताव भेज दिया गया।
इस प्रस्ताव के आधार पर प्रमुख सचिव आवास ने हरीश टंडन के फ्री होल्ड के प्रत्यावेदन को खारिज कर दिया गया। लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस प्रकरण में उच्च स्तरीय जांच इस संबंध में कराई जाए कि क्या आरोपी लोक सेवक द्वारा जो कार्रवाई की गई और शासन को जो रिपोर्ट भेजी गई, वह पद का दुरुपयोग करते हुए हरीश टंडन को अनुचित कष्ट पहुंचाने के उद्देश्य से तो नहीं की गई है? और क्या उनकी यह कार्रवाई अत्यंत जल्दबाजी व मनमानेपूर्ण ढंग से की गई है?