आजमगढ़: दलित की हत्या मामले में चार आरोपियों को आजीवन कारावास

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साक्ष्य के अभाव में आरोपित युवती को किया दोष मुक्त
पंचायत के बाद रात में घर में बंद कर लाठी-डंडे से पीटकर उतारा था मौत के घाट

आजमगढ़। दलित की हत्या के मुकदमे में सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने चार आरोपियों को आजीवन कारावास तथा प्रत्येक पर तीस हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। जबकि पर्याप्त साक्षी के अभाव में आरोपित युवती को दोष मुक्त कर दिया। यह फैसला एससी एसटी कोर्ट के जज जैनेंद्र कुमार पांडेय ने सुनाया। अभियोजन कहानी के अनुसार वादी मुकदमा शाहुल पुत्र रामहरख निवासी परसमनपुर थाना कप्तानगंज के छोटे भाई भीम का गांव पुष्पा पुत्री जगदीश निषाद से प्रेम प्रसंग चल रहा था। घटना से 1 वर्ष पहले भीम तथा पुष्पा घर से कहीं भाग गए थे। इसके विषय में दोनों पक्षों में बाद में पंचायत हुई थी। इसी रंजिश को लेकर साजिश के तहत 20 मई 2021 को ही रात लगभग डेढ़ बजे पुष्पा पुत्री जगदीश, जगदीश निषाद पुत्र गोमती निषाद, शेरू निषाद पुत्र जगदीश निषाद, वीरू निषाद पुत्र जगदीश निषाद, किशुन निषाद पुत्र जगदीश निषाद ने कमरे में बन्द करके लाठी-डंडा से पीट-पीट कर हत्या कर दी। पुलिस से सभी पांचो आरोपियों के विरुद्ध चार्ज शीट न्यायालय में प्रस्तुत किया। अभियोजन पक्ष की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता आलोक त्रिपाठी ने कुल बारह गवाहों को न्यायालय में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों के दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी जगदीश निषाद , शेरू निषाद , वीरू निषाद, तथा किशुन निषाद को दोष सिद्ध पाते हुये प्रत्येक को आजीवन कारावास की सजा व 30-30 हजार रुपये के अर्थ दण्ड से दण्डित किया गया। जबकि पर्याप्त सबूत के अभाव में आरोपित पुष्पा को दोष मुक्त कर दिया

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