धर्मेंद्र गिरोह के बिखरने पर चढ़ता गया अपराध की सीढ़ियां
रिपोर्ट-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’
आजमगढ़ । एक दशक पूर्व मेंहनगर क्षेत्र के रासेपुर बाजार से शौकिया दोस्त के असलहे को लेकर घूमते समय पड़ोसी जिले मऊ के चिरैयाकोट थाना पुलिस द्वारा असलहे के साथ पकड़े गए मेंहनगर क्षेत्र के वीरपुर गांव निवासी दीपक सिंह उर्फ नाटे की मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में की गई गिरफ्तारी के बाद जब उसके गृहक्षेत्र के लोगों को एक लाख रुपए पुरस्कार घोषित किए गए इस अपराधी की जानकारी मिलने के बाद क्षेत्र ही नहीं जिले के लोगों में भी उसके बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ गई।अपराध जगत में सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते हुए मेंहनगर क्षेत्र के वीरपुर गांव का होनहार युवक दीपक सिंह उर्फ नाटे कब एक लाख रुपए का ईनामी बदमाश बन गया इस बात से गांव ही नहीं क्षेत्र के लोग भी हैरान हैं। बुधवार को एसटीएफ द्वारा मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर से उसकी गिरफ्तारी की जानकारी होने पर दीपक उर्फ नाटे की चर्चा जिले में जोरों पर है। जिले के वीरपुर गांव निवासी दीपक सिंह उर्फ नाटे की हकीकत जानने के लिए बुधवार को जब उसके बारे में जानकारी हासिल करने का प्रयास किया गया तो पता चला कि उसके पिता प्रमोद सिंह के निधन के कुछ समय बाद ही दीपक सिंह उर्फ नाटे की मां रेनू सिंह बड़े बेटे दीपक को उसके पैतृक घर पर छोड़कर अपने छोटे पुत्र गौरव के साथ अपने मायके चली गई । मायके में पहुंची रेनू को एक बड़ा झटका तब मिला जब उस समय 11 की उम्र में उसके छोटे भाई गौरव की बस से कुचल कर मौत हो गई। कुछ समय बाद रेनू की भी मायके में ही मौत हो गई। सिर से माता-पिता की छांव हट जाने के बाद दीपक सिंह बड़े पिता और चाचा के भरोसे उनके साथ जीवन व्यतीत करने लगा। हाईस्कूल की परीक्षा में असफल होने के भय दीपक घर से निकल गया और गुजरात के सूरत शहर में प्राइवेट नौकरी कर ठीक-ठाक पैसा कमाने लगा। कुछ साल गुजरने के बाद दीपक अपने घर लौटा और एक दिन गांव के ही एक दोस्त के साथ उसका अवैध असलहा लेकर शौक में स्थानीय रासेपुर बाजार गया था। वहीं पर परिवार के विपक्षी द्वारा किए गए इशारे पर चिरैयाकोट थाने की पुलिस ने उसे असलहे के साथ पकड़ लिया। उसका पहला अपराध पुलिस रिकार्ड में दर्ज हुआ और जेल से रिहा होने के बाद वह तरवां थाना क्षेत्र के खुटहन ग्राम निवासी एवं डी-नाइन गैंग के नाम से कुख्यात धर्मेंद्र सिंह के गिरोह से जुड़कर आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने लगा। इस बात की जानकारी होने पर परिवार के लोगों ने उससे नाता तोड़ लिया। इसके बाद वह कभी अपने गांव नहीं लौटा। गैंग लीडर धर्मेंद्र सिंह के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद जब गिरोह बिखर गया और दीपक सिंह भूमिगत होकर दूसरे गिरोह में शामिल होकर अपराध जगत में सक्रिय हो गया। क्षेत्र के लोगों में उसका कोई आतंक नहीं था लेकिन वह दूसरे गिरोहों से जुड़कर पूर्वांचल के कई जिलों में संगीन अपराधों को अंजाम देने लगा। मऊ जिले में हत्या की कई घटनाओं में उसका नाम आने पर उसकी गिरफ्तारी के लिए ईनाम घोषित किया गया जो बढ़कर एक लाख रुपए तक पहुंच गया। कई जनपदों की पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुके दीपक सिंह उर्फ नाटे की तलाश में जुटी एसटीएफ को मध्यप्रदेश में उसकी लोकेशन मिली और वह उज्जैन शहर में एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया। इस शातिर अपराधी के खिलाफ प्रदेश के कई जिलों में कुल 29 संगीन अभियोग पंजीकृत होते गए। उधर क्षेत्र में उसका कोई अपराध न होने तथा उसके ऊपर एक लाख का पुरस्कार घोषित किए जाने से क्षेत्र के लोग भी हैरान रह गए। वीरपुर गांव में दीपक उर्फ नाटे को पैतृक मकान में मिले दो कमरे खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। गांव नहीं क्षेत्र में भी उसे ईनाम घोषित अपराधी और गिरफ्तारी की जानकारी के बाद क्षेत्र ही नहीं जिले के लोगों में भी अचानक सुर्खियों में आए इस अपराधी की चर्चा जोरों पर है।