दशहरा के दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है-गौरव अग्रवाल
आजमगढ़। आज शनिवार को करतालपुर स्थित जीडी ग्लोबल स्कूल में दशहरा का कार्यक्रम भव्यपूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ विद्यालय की निदेशिका श्रीमती स्वाति अग्रवाल, प्रबंधक श्री गौरव अग्रवाल ने विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती मोनिका सारस्वत पाण्डेय एवं उपप्रधानाचार्या श्रीमती मधु पाठक के साथ दीप प्रज्वलन से किया। दीप प्रज्वलन के पश्चात मर्यादा पुरुषोत्तम राम के संघर्ष एवं चरित्र पर गीत की प्रस्तुति की गई। उसके पश्चात विद्यालय के नन्हे-मुन्हे बच्चो ने रामलीला का रंगमंचीय कायर्क्रम प्रस्तुत कर दर्शको को तालियाँ बजाने पर मजबूर कर दिया। विद्यालय के छात्र/छात्राओं ने दशहरा पर्व के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व पर अपने अपने विचार अभिव्यक्त किए। छात्र/छात्राओं द्वारा प्रभु श्रीराम के वनगमन, सीताहरण, लंका युद्ध का सजीव और मनोरम वर्णन रामलीला के माध्यम से रंगमंचीय कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई। रामलीला का यह जीवंत कार्यक्रम श्रोताओं के आकर्षण का केंद्र रहा। विद्यालय की निदेशिका ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि विजयादशमी का पर्व असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। आसुरी शक्तियों के सदैव विनाश की ओर संकेत करता है यह पर्व। विद्यालय के प्रबंधक गौरव अग्रवाल ने पर्व की महत्ता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विजयादशमी पर्व पर शस्त्र-पूजा की जाती है, और नया कार्य प्रारम्भ करते हैं (जैसे अक्षर लेखन का आरम्भ, नया उद्योग आरम्भ, बीज बोना आदि)। ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है। भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव मनाया जाता है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।
विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती मोनिका सारस्वत पाण्डेय ने अपने उद्बोधन में कहा कि दशहरा पर्व की सामाजिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा यह पर्व अकारण तथा निरपराध लोगों को रुलाने वाले रावण के अहंकार रूपी दस सिरों और पौरुष की दुरुपयोगिनी बीस भुजाओं के विनाश की प्रतीक है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष के आते-आते मार्ग सुगम हो जाते हैं। स्वच्छ अंबर में पवन-संयोग के कारण मेघ बलाहक पक्षी की भांति उड़ने लगते हैं। यह पर्व हमें असत्य पर सत्य की जीत का संदेश देता है, हमें क्रोध, लोभ, अहंकार का त्याग कर अच्छाई को अपनाना चाहिए। कार्यक्रम का समापन प्रभु श्री राम दरबार की आरती से हुआ।