आजमगढ़: चली थी अकेली बन गया कारवां, औरों के लिए मिसाल बनी नीलम

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जब 10 साल पहले आजमगढ़-गोरखपुर मार्ग को किया था जाम

आजमगढ़। ‘मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।’ मशहूर शायर मजरूह सुल्तानपुरी का यह शेर रौनापार थाने के सोहराभार गांव के नीलम यादव पर सटीक बैठता है। वो सफर जिसकी शुरुआत वर्ष 2012-13 में शुरु हुई थी। नीलम ने महुला सुरौली गांव के सामने खुल रहे शराब की दुकान को लेकर धरने पर बैठ गईं थीं। हार मानकर प्रशासन को शराब की दुकान को बंद कराना पड़ा था।
रौनापार थाना क्षेत्र के सोहराभार गांव की नीलम यादव ने समाज में कुरीति और शराब के खिलाफ मोर्चा खोलना शुरु किया। नीलम यादव ने 2012-13 में एक संस्था नारी संगठन बनाया। नारी संगठन में करीब अजमतगढ़ ब्लॉक की एक हजार महिलाएं शामिल हुईं। दर्जनों गांव की महिलाएं अपनी-अपनी समस्या को लेकर नीलम यादव के साथ खड़ी हो गईं। नीलम ने सुरौली महुला में कच्ची शराब को लेकर आजमगढ़-गोरखपुर मार्ग को महुला के पास जाम कर दिया। इतना ही नहीं गांव में खड़ंजा न लगाने के विवाद को लेकर पुलिस से भिड़ गईं। वहीं सोहराभार में ग्रामसमाज की जमीन को लेकर महिलाओं के साथ पूरा गांव भीड़ गया। अजमतगढ़ ब्लॉक के महुला गांव के प्रधान से मनरेगा में जब महिलाओं ने काम मांगा और ग्राम प्रधान द्वारा अभद्रता की गई तो ग्रामप्रधान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। मेघपुर में लालचंद यादव द्वारा शराब बेचा जा रहा था जिसका विरोध सड़क से लेकर थाने तक किया और उसे बंद करवाया। कांखभार में अवैध शराब का निर्माण बंद करवाया। गरीब लड़कियों के शादी में चंदा मांग कर सहयोग किया। इस तरह से तमाम ऐसे काम है जो नीलम यादव ने बढ़-चढ़कर के भाग लिया और महिलाओं का साथ दिया।

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