अल्पसंख्यक कालेज पर लगा भ्रष्टाचार और सगे-संबंधियों की भर्ती का आरोप
राजभवन पहले ही जांच का दे चुका है आदेश
लखनऊ/आजमगढ़। भ्रष्टाचार और कदाचार की जड़ें यदि पाताल-लोक तक भी पहुंच जाएं तो भी ईमानदारी की आंधी उसे जड़ से उखाड़ फेंकने में सक्षम हो सकती है। भ्रष्टाचार तो उस दलदल की तरह होता है, जिसमें भ्रष्टाचारी जितना उछल-कूद करेगा उसमें डूबता ही जाएगा और शिब्ली कालेज के भ्रष्टाचारी अपने ही भ्रष्टाचार के दलदल में फंसते जा रहे है। उक्त बातें युवाओं की आवाज बन चुके राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर सिंह पुष्कर ने पत्रकारों से बातचीत में कहीं। वे इस वक्त पूर्वांचल के प्रतिष्ठित कालेज शिब्ली नेशनल कालेज आजमगढ़ में लगभग 55 के करीब हो रहीं नियुक्तियों में व्याप्त भ्रष्टाचार और कदाचार का आरोप लगाते हुए सिस्टम से लड़ने का दावा कर रहे हैं। उन्होंने हाल-फिलहाल में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव गृह संजय प्रसाद से मिलकर अल्पसंख्यक संस्था-शिब्ली नेशनल कालेज में पिछले तीन-चार महीनों से चल रही सहायक प्रोफेसरों की भर्तियों में व्याप्त भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और सगे-संबंधियों की नियम विरुद्ध नियुक्तियों के विरुद्ध जांच के लिए एक जांच टीम गठित करने की मांग की। उन्होंने महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़ के कुलपति को भी इस गोरखधंधे में संलिप्त होने का आरोप लगाया और कहा कि जब तक स्वतंत्र एजेंसी से इसकी उच्च स्तरीय जांच नहीं होगा, योग्य अभ्यर्थियों और युवाओं के साथ न्याय नहीं हो सकता है। इस अल्पसंख्यक कालेज में भाई-भतीजावाद और सगे-संबंधियों से बाहर योग्य मुस्लिम युवाओं के अधिकारों के साथ भी अन्याय एवं छल किया किया गया। राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच युवाओं की लड़ाई सड़क से लेकर न्यायालय तक लड़ेगी। इसकी जांच एसआईटी या सीबीआई से कराने के लिए न्यायालय के शरण में जायेंगे। बताते चलें कि 18 अक्टूबर के उनके शिकायती पत्र पर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने शिब्ली नेशनल कालेज की भर्तियों की जांच का आदेश आजमगढ़ मंडल के आयुक्त मनीष चौहान को दिया। उन्होंने बताया कि इसके पहले भी राजभवन से इन नियुक्तियों की जांच करने के लिए 11 सितंबर को कुलपति को दो-दो आदेश हुआ। जिसमें 15 दिन में उन्हें राजभवन को आख्या भेजनी थी, लेकिन एक महीने से अधिक समय हो जाने पर भी जब कुलपति ने राजभवन को इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध आख्या नहीं भेजी तो उन्होंने इसकी एक बार फिर शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय से की। उन्होंने कहा कि शिब्ली कालेज के भ्रष्टाचारी चाहे जितने ताकतवर हों, जितने संगठित हों, बचने नहीं पाएंगे। कानून का हाथ उनकी गर्दन तक जरूर पहुंचेगा। शिब्ली नेशनल कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर अफसर अली की स्वयं की नियुक्ति संदेह के घेरे में है। उनकी नियुक्ति के विरुद्ध धारा-68 में राजभवन से जांच पहले से ही चल रही है और ऐसी स्थितियों में उनके प्राचार्य पद का अनुमोदन भी यही कुलपति ने किया, जो भ्रष्टाचार का पोषण कर रहे हैं। प्राचार्य और प्रबंध समिति ने अपने सगे-संबंधियों को नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए नियुक्ति कर डाली और योग्यता की निर्मम हत्या की,जिसे कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आजमगढ़ कमिश्नर इस प्रकरण की निष्पक्ष और गंभीरता से जांच करेंगे ऐसी उम्मीद राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच करता है।