ये दिग्गज सपा नेता थामेंगे कांग्रेस का हाथ
लखनऊ। सपा के राष्ट्रीय महासचिव और कई बार सांसद रहे रवि प्रकाश वर्मा का पार्टी से मोहभंग हो गया है। वह जल्द कांग्रेस का हाथ थामेंगे। वर्मा का फैसला लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी सपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इसका सीधा असर लखीमपुर समेत आसपास के करीब आधा दर्जन लोकसभा सीटों पर पड़ सकता है। वर्मा खीरी सीट से तीन बार लोकसभा व एक बार राज्यसभा सदस्य रहे हैं। लखीमपुर खीरी के गोला निवासी वर्मा सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। माता-पिता समेत वर्मा का परिवार खीरी लोकसभा क्षेत्र का 10 बार प्रतिनिधित्व कर चुका है। 2019 में सपा ने महागठबंधन के तहत लोकसभा का पहला टिकट उनकी बेटी पूर्वी वर्मा को दिया था। हालांकि वह चुनाव हार गई थीं। पिछले काफी दिन से वर्मा ने सपा से दूरी बना ली थी। सूत्रों का कहना है कि वह छह नवंबर को कांग्रेस में शामिल होंगे। सपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे पूर्व सांसद रवि प्रकाश वर्मा का कांग्रेस में जाना सपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उनके जरिए प्रदेश में कुर्मी वोटबैंक को साधने की कोशिश में जुटी है। रवि प्रकाश के बाद कुर्मी बिरादरी के कई अन्य नेता भी कांग्रेस का रुख करेंगे।
रवि प्रकाश की पहचान दिग्गज कुर्मी नेताओं में होती है। उनके कांग्रेस के पाले में आने से खीरी ही नहीं बल्कि धौरहरा, सीतापुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर बाराबंकी आदि लोकसभा क्षेत्रों पर भी असर पड़ेगा। इन लोकसभा क्षेत्रों की अलग-अलग विधानसभा सीटों में कुर्मी समाज निर्णायक भूमिका में हैं। अकेले खीरी में पिछड़े वर्ग की करीब 35 प्रतिशत आबादी में कुर्मी की संख्या सर्वाधिक है। गोला निवासी रवि प्रकाश वर्मा तीन बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सदस्य रहे हैं।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव रवि प्रकाश वर्मा के पिता बाल गोविंद वर्मा लखीमपुरखीरी लोकसभा क्षेत्र से 1962 से 1971 और फिर 1980 में सांसद चुने गए। कुछ दिन बाद उनकी मौत हो गई तो उपचुनाव हुआ, जिसमें रवि प्रकाश की माता उषा वर्मा सांसद चुनी गईं। इसके बाद वह 1984 से 1989 तक सांसद रहीं। रवि प्रकाश 1998 से 2009 तक सपा सांसद रहे। इसके बाद 2014 से 2020 तक राज्य सभा सदस्य रहे। बताया जाता है कि सपा की ओर से गोला गोकर्णनाथ में हुए कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान ही रवि प्रकाश की नाराजगी दिखी थी। पहले दिन वह सम्मेलन में नजर नहीं आए थे। सूत्रों का कहना है कि अगले दिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें फोन किया तो वह सम्मेलन में पहुंचे। इसी तरह अन्य कार्यक्रमों से भी वह दूरी बना लिए थे।