आजमगढ़: डिजिटल क्रान्ति ने जीवन के हर पहलुओं को अन्दर तक छुआ-डीएम

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24वें आजमगढ़ पुस्तक मेले का जिलाधिकारी ने किया उद्घाटन
आजमगढ़। जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने आज हरिऔध कला केन्द्र आजमगढ़ में जिला प्रशासन एवं गंगा समिति आजमगढ़ के सानिध्य में नेशनल बुक ट्रस्ट के रचनात्मक सहयोग से शुरूआत समिति के माध्यम से आयोजित 24वां आजमगढ़ पुस्तक मेला (25 नवम्बर से 2 दिसम्बर 2023) का दीप प्रज्जवल एवं फीता काटकर उद्घाटन किया। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने पुस्तक मेले में लगायी गयी किताबों का अवलोकन किया गया।
जिलाधिकारी ने कहा कि वर्तमान में डिजिटल क्रान्ति ने जीवन के हर पहलुओं को अन्दर तक छुआ है और पढ़ाई-लिखाई हो, नौकरियां हो या युद्ध हो, इन सबमें डिजिटल क्रान्ति ने अपना एक अमिट छाप छोड़ा है और आने वाले समय में बिल्कुल वैसा नही होगा, जैसा हम लोगों ने अपने जीवन के आरम्भ में देखा है। उन्होने कहा कि जो छात्र-छात्राएं एवं युवा वर्ग हैं, आने वाला समय उनका है। उन्होने कहा कि इस डिजिटल युग में भौतिक किताबों के इस आयोजन को आप महत्व दे रहे हैं, यह इस पुस्तक मेले की बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होने कहा कि मै यह नही मान सकता है कि ज्ञान किसी एक प्रकार के आवरण में ही आता है। उन्होने कहा कि किताबें जब नही छपती थी, तब भी भारत में ज्ञान का एक भण्डार था, कई हजार वर्षां तक भारत का ज्ञान चाहे वह पुराण हों, वेद हों, वे मौखिक रहें, तब किताबें नही थी और जब किताबें लिखी जाने लगी, तो वह किसी वर्ग विशेष तक ही सीमित रहीं, क्योंकि वह बहुत महंगी थी, बहुत आसानी से नही बन पाती थी। जब प्रिन्टिंग प्रेस आया, तो किताबें सुलभ हुई और ज्ञान सुलभ हुआ। उन्होने कहा कि ज्ञान का एक साधन किताबें हैं और किताबों के एक प्रकार वो है, जो आप यहां आज देख रहे हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि बौद्धिक बल ज्ञान से आता है और ज्ञान का सबसे अच्छा श्रोत किताबे हैं, किताबें बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वो ज्ञान को बहुत ही छोटे से जगह में कुछ शब्दों में समेट कर आपके सामने रखते हैं। उन्होने कहा कि अगर आप राहुल सांस्कृत्यायन जी का साहित्य पढ़ें तो उससे पता चलेगा कि उन्होने किताबों से ज्यादा भ्रमण को महत्व दिया है। उन्होने कहा कि किताबें हमें यह अवसर देती हैं कि कुछ पैसे लगाकर हम किसी की जीवनी से, किसी के यात्रा वृतान्त से एवं किसी एस्से से एक नया नजरिया देख लें और एक नया अनुभव हम प्राप्त कर लें। उन्होने कहा कि आज के युग में इन किताबों के अतिरिक्त भी बहुत सारे साधन हैं, जिनके माध्यम से आप विभिन्न विचारधाराओं, विभिन्न लोगां के व्यक्तित्व को, अनेक समाज, देश, भाषा आदि के बारे में आप जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उन्होने कहा कि आज इस ऑडिटोरियम में जो विद्यार्थी उपस्थित हैं, वैसे हम सब लोग विद्यार्थी ही हैं, विद्या अर्जन करने की कोई आयु सीमा नही होती है। हम सब लोग जीवन के चाहे जिस मुकाम पर हों, वहां पर हर रोज कुछ नया सीखते हैं। उन्होने कहा कि विद्यार्थी जो पढ़ाई कर रहे हैं, उनके लिए यह अच्छा अवसर है, वे किताबों को रखें, देखें और पढ़ें। उन्होने कहा कि यद्यपि किताबों को पढ़ने की आदत लोगों में कम हो रही है, पर मानव मस्तिष्क के विकास में जैसे बोलना महत्वपूर्ण है, वैसे ही पढ़ना भी महत्वपूर्ण है। यह एक कौशल है, जो काफी मेहनत के बाद आपको अपना बचपन याद होगा, जब आपने एक-एक अक्षर पढ़ना सीखा होगा, जो कौशल, विधा आपने सीखी है, उसको और साफ एवं मजबूत करने की जरूरत है और इस उद्देश्य से मजबूत करने की जरूरत है कि उससे हमें ज्ञान प्राप्त होगा और ज्ञान से हमें जो आगामी जीवन की चुनौतियां हैं, उन चुनौतियों से रूबरू होने और उससे आगे निकलने का हमें अवसर मिलेगा। उन्होने कहा कि मुझे आशा है कि यह पुस्तक मेला जैसे उसने अपने 24 वर्ष पूरे करके 25वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, वैसे ही और मजबूती और विविधता के साथ जो पब्लिशन्स आज यहां नही आ पाये हैं, उनको भी अगली बार लाने का प्रयास करेंगे और आजमगढ़ की धरती है पर यह और विकसित होता रहे, यह हम सब लोगों को दायित्वों में है। जिलाधिकारी ने छात्र/छात्राओं, युवाओं एवं आमजन से अपील किया कि अधिक से अधिक संख्या में इस पुस्तक मेले में आकर इसका लाभ उठायें। इस अवसर पर आयोजन समिति द्वारा जिलाधिकारी महोदय को अंगवस्त्र एवं पुस्तक देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन राजीव रंजन द्वारा किया गया। उन्होंने इस पुस्तक मेले में सहयोग के लिए जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर अतिरिक्त मजिस्ट्रेट रोहित यादव सहित विभिन्न स्कूलों के छात्र/छात्राएं एवं अन्य संबंधित उपस्थित रहे।

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