18 साल के राजनैतिक कैरियर पर लगा ब्रेक
सुल्तानपुर। पूर्व विधायक इंद्रभद्र सिंह के पुत्र एवं पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू के अनुज धनपतगंज ब्लॉक प्रमुख यशभद्र सिंह के डेढ़ दशक से अधिक के राजनैतिक कैरियर की रफ्तार पर ब्रेक लग गया है। शासन ने उनको दो वर्ष की सजा होने का हवाला देते हुए उनकी क्षेत्र पंचायत सदस्यता और ब्लॉक प्रमुखी निरस्त कर दी है। हालांकि उन्होंने कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर रखा है। देर शाम डीएम के पास पंचायत राज विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार की ओर से आदेश पहुंचा। जिसमें कहा गया है कि यशभद्र सिंह मोनू को गिरोहबंदी करके एससी-एसटी समाज के व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाने का दोष सिद्ध हुआ है। इसलिए जिला पंचायत अधिनियम के तहत नैतिक अधमता का दोषी पाए जाने पर क्षेत्र पंचायत सदस्य व ब्लॉक प्रमुख के पद से हटाने के लिए राज्यपाल ने स्वीकृति दे दी है। आदेश में कहा गया है कि धनपतगंज ब्लॉक प्रमुख का पद अब रिक्त हो गया है। इस पद के संचालन के लिए अब नए सिरे से आदेश जारी किया जाएगा। दरअस्ल 5 फरवरी 2016 में धनपतगंज ब्लॉक पर ब्लॉक प्रमुख का पर्चा दाखिल करने के दौरान दो पक्षों में मारपीट हुई थी। इस मामले में जिला पंचायत अध्यक्ष ऊषा सिंह ने पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू, उनके छोटे भाई यशभद्र सिंह मोनू और दो समर्थकों के खिलाफ कूरेभार थाने में केस दर्ज कराया था। इन लोगों पर बलवा, मारपीट, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था। इसी मामले में यशभद्र सिंह ने कोर्ट से जिला पंचायत अध्यक्ष ऊषा सिंह, वर्तमान में बल्दीराय ब्लॉक प्रमुख शिवकुमार सिंह, पूर्व जिला पंचायत सदस्य कमला यादव समेत सात के विरुद्ध मारपीट, बलवा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, एससी-एसटी के तहत केस दर्ज कराया था। दोनों ही मामलों में 2 दिसंबर 2022 को एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट की न्यायाधीश एकता वर्मा ने दोष सिद्ध होने पर इन सभी को दो-दो वर्ष की सजा सुनाई थी। ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल अपील अभी विचाराधीन है। आपको बता दें कि 9 जुलाई 2021 को यशभद्र सिंह उर्फ मोनू निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा था। उनके सामनें बीजेपी ने अमित मिश्रा को प्रत्याशी के तौर पर उतारा था लेकिन अमित मिश्रा ने पर्चा नहीं खरीद कर बीजेपी के अरमानों और दिग्गज भाजपाईयों के हौसलों पर पानी फेर दिया था। ऐसे में यशभद्र सिंह मोनू निर्विरोध निर्वाचित हो गए थे और उन्होंने अपनी खानदानी परंपरा का निर्वाहन भी कर डाला था। मोनू को 81 में से 80 मत मिले हैं। देश की आजादी के बाद से ही धनपतगंज ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी पर यशभद्र सिंह मोनू के परिवार का ही कब्जा रहा। चाहे इनके बाबा रहे हों, इनके पिता से लेकर चाचा और भाई तक धनपतगंज ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी को सुशोभित कर चुके हैं। यशभद्र सिंह मोनू पहली बार 2005 में धनपतगंज के ब्लॉक प्रमुख निर्वाचित हुए थे। 2015 से 2020 तक वे जिला पंचायत सदस्य रहे। 2012 में उन्होंने इसौली विधानसभा क्षेत्र से पीस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। चुनाव में उन्हें शिकस्त मिली लेकिन वे दूसरे नंबर पर रहे। 2017 का विधानसभा चुनाव उन्होंने इसौली से राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर लड़ा। चुनाव में करीब 43,000 वोट मिलने के बाद भी वे तीसरे नंबर पर चले गए। 2022 में एक बार फिर उन्होंने किस्मत आजमाया लेकिन वे फिर तीसरी पोजीशन ही ला सके।