सभी वर्गों को आयु सीमा में मिलेगी छूट, बुधवार से आवेदन
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिपाही नागरिक पुलिस के 60,244 पदों पर होने वाली सीधी भर्ती में सभी वर्गों के अभ्यर्थियों को आयु सीमा में तीन वर्ष की छूट देने का आदेश दिया है। अभ्यर्थियों द्वारा आयु सीमा में छूट की मांग का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद को इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि आयु सीमा में छूट देने के लिए केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त समेत कई विधायकों और राजनीति दलों के नेताओं ने आयु सीमा में छूट देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा था।
कोर्ट जाने की थी योजना-सिपाही नागरिक पुलिस के 60,244 पदों पर होने वाली सीधी भर्ती में आयु सीमा में छूट देने की मांग करने का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के बाद अब केंद्रीय मंत्री वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट में भी इस संबंध में याचिका दायर किए जाने की सूचना है। दरअसल, सिपाही भर्ती में सामान्य वर्ग की आयु सीमा को लेकर सबसे ज्यादा नाराजगी है। उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड द्वारा सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की आयु सीमा 18 से 22 वर्ष निर्धारित की गयी है। पुलिस में भर्ती होने के इच्छुक युवाओं की दलील है कि वर्ष 2018 के पांच साल बाद करीब 60 हजार पदों पर भर्ती होने जा रही है। भर्तियों में पांच साल का विलंब होने से तमाम युवाओं की आयु सीमा अधिक हो चुकी है, जिसकी वजह से उनको पुलिस में भर्ती होने का मौका नहीं मिल सकेगा। वहीं आरक्षण के दायरे में आने वाले अन्य वर्गों के अभ्यर्थियों को आयु सीमा में पांच साल की छूट मिल रही है। वहीं दूसरी ओर भर्ती बोर्ड ने बुधवार से शुरू होने वाले ऑनलाइन आवेदन की तैयारियां पूरी कर ली हैं। पहले दिन सबसे ज्यादा आवेदन होने की संभावना जताई जा रही है।
एक दिन में दो परीक्षाएं-सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा कराने में भी एक अड़चन सामने आ रही है। दरअसल भर्ती बोर्ड ने लिखित परीक्षा के लिए 11 फरवरी की तारीख प्रस्तावित करते हुए सभी जिलों के डीएम और एसपी को तैयारियां करने को कहा है। वहीं दूसरी ओर 11 फरवरी को ही उप्र लोक सेवा आयोग द्वारा समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी के पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की जा रही है। सिपाही भर्ती में करीब 25 लाख, जबकि आयोग की परीक्षा में 10 लाख अभ्यर्थियों के शामिल होने की उम्मीद है। इन हालात में दोनों परीक्षाएं साथ में आयोजित करा पाना प्रशासन के लिए चुनौती बन सकता है। खासकर लाखों अभ्यर्थियों के परीक्षा के लिए दूसरे जिलों में जाने से परिवहन सेवाओं पर खासा असर देखने को मिल सकता है।