सीएम से मिलवाने के नाम पर भी करते थे वसूली
गोरखपुर। योगी कॉरपोरेशन बनाकर जालसाजी करने के आरोपी केदारनाथ और हर्ष के संपर्क में सचिवालय का एक कर्मचारी और लखनऊ का कथित पत्रकार भी शामिल है। आरोपियों से पूछताछ में इसकी पुष्टि होने के बाद पुलिस ने उनकी भूमिका की जांच शुरू कर दी है। इसके अलावा पुलिस दोनों आरोपियों की सीडीआर की जांच कर रही है, जिसके आधार पर किससे-किससे बात की गई और उनका उद्देश्य क्या था, इसकी भी जांच की जाएगी। साथ ही आरोपी बनाया जा सकता है।
जानकारी के मुताबिक, दोनों जालसाजों ने पुलिस को पूछताछ को बताया है कि वह स्थानांतरण और दूसरे कामों को इन्हीं दोनों की मदद से कराया करते थे। इनकी मदद से कई काम करवा चुके हैं। इसके अलावा कई और लोग भी इनके संपर्क में हैं, जो अपने काम के लिए मिलते थे। खबर है कि प्रार्थनापत्र भी इनके माध्यम से मिल जाते थे, जिसे गोरखपुर के जनता दर्शन में पेश कराया जाता था। आरोपियों ने बताया कि वह पीड़ितों को जनता दर्शन में मिलवाने के नाम पर भी वसूली करते थे। अब जाहिर है कि जनता दर्शन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आने वाले सभी की समस्या सुनते हैं और उसका समाधान हो जाता है। इस वजह से इनके भेजे गए पीड़ित का भी काम हो जाता था, जिसके नाम पर ये दोनों मिलकर वसूली कर लेते थे। दोनों के पास से पुलिस ने कई पीड़ितों के प्रार्थनापत्र बरामद कर लिए हैं।
कानपुर के सचंडी के गढ़ी भीमसेन की रहने वाली रंजना सिंह भारतीय जनता पार्टी में मंडल मंत्री हैं। कैंट थाने में उन्होंने केस दर्ज कराया था। उनका आरोप है कि एक लिंक के माध्यम से उन्हें योगी कार्पाेरेशन ग्रुप ऑफ इंडिया ग्रुप का संदेश मिला था। ग्रुप के संयोजक केदारनाथ ने फोन कर आधार कार्ड की कॉपी, फोटो और रुपये मांगे। उनको बताया गया कि उन्हें कानपुर नगर का प्रभारी बनाया जा रहा है। भरोसा करके उन्होंने दस्तावेज भेज दिए, जिसके बाद कानपुर नगर के प्रभारी के नाम से उनका पहचान पत्र व्हाट्सएप ग्रुप पर भेज दिया गया। बाद में जालसाजी की जानकारी होने पर होने पर उन्होंने केस दर्ज कराया था। इसके बाद ही पूरा मामला खुलकर सामने आया। एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा कि भाजपा नेत्री से जालसाजी के मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों ने अपना नाम बदल कर आगे योगी लगा लिया था। दोनों ने फर्जी तरीके से गोरखनाथ के पते पर योगी कारपोरेशन नाम की संस्था का पंजीकरण करा लिया था। इसका परिचय पत्र जारी करके वसूली करते थे। केदारनाथ के पास से भाजपा का एक फर्जी परिचय पत्र भी मिला है, जिस पर प्रदेश महामंत्री लिखा हुआ है। जबकि ये भाजपा का कार्यकर्ता तक नहीं है।