आठ साल पहले ही हो चुका है निधन
कानपुर। कानपुर में जूही थाना पुलिस ने यूपी बोर्ड की सचिव रहीं प्रभा त्रिपाठी के खिलाफ जालसाजी की रिपोर्ट दर्ज की है जबकि उनकी आठ साल पहले ही मौत हो चुकी है। आम तौर पर ऐसे मामलों में पुलिस बिना जांच के रिपोर्ट ही दर्ज नहीं करती मगर इस मामले में ऐसा नहीं किया। तत्कालीन यूपी बोर्ड सचिव के साथ ही उनके भांजे को भी आरोपित बनाया है। ज्वाइंट सीपी के संज्ञान में यह मामला लाया गया तो उन्होंने जांच कराकर उचित कार्रवाई की बात कही। यूपी बोर्ड की सचिव रहीं प्रभा त्रिपाठी की 22 अप्रैल 2015 में गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में मौत हो गई थी। अब जूही थाने में बर्रा के जीपीजी विद्यालय हायर सेकेन्ड्री स्कूल के प्रबंधक दिनेश कुमार द्वारा उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। प्रभा त्रिपाठी की मौत को आठ साल नौ माह एक दिन का समय बीत चुका है। एफआईआर में आरोप है कि वर्ष 2005 में जब प्रभा त्रिपाठी संयुक्त शिक्षा निदेशक कानपुर मंडल थीं तब उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर फर्रूखाबाद स्थित अल्पसंख्यक संस्था के क्रिश्चियन कॉलेज में भांजे मोहित मनोहर तिवारी की नियुक्ति करा दी थी। वह सामाजिक विज्ञान के टीचर बनाए गए जबकि इस विषय की योग्यता नहीं रखते। एफआईआर में कहा गया है कि नियुक्ति के बाद मोहित मनोहर तिवारी ने एक लाख रुपये प्रतिमाह धन आहरण किया।
प्रबंधक की रिपोर्ट में कहा गया कि 4 जून 2022 को जिला लेखा परीक्षा अधिकारी की ऑडिट रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ। इसके बाद प्रबंधक ने वर्तमान संयुक्त शिक्षा निदेशक कानपुर मंडल मनोज कुमार द्विवेदी से मोहित की वेतन अनुमंता वापस लेने का अनुरोध किया। शिकायत होने पर मुख्यमंत्री कार्यालय से 2 जून 2023 को जिला विद्यालय निरीक्षक को जांच सौंपी गई। सामाजिक विज्ञान के लिए योग्य नहीं प्रबंधक दिनेश कुमार की रिपोर्ट के अनुसार जिला विद्यालय निरीक्षक की जांच आख्या में स्पष्ट अंकित है कि मोहित मनोहर तिवारी सहायक अध्यापक सामाजिक विज्ञान के योग्य नहीं हैं। माध्यमिक शिक्षा अधिनियम 1921 में सामान्य विषय जैसा पद सृजित नहीं है। नियम विरुद्ध उनकी नियुक्ति हुई है। शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई और मोहित मनोहर तिवारी से सांठगांठ कर फाइल दबा दी गई। ज्वाइंट सीपी, आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है। मृत पर रिपोर्ट किन परिस्थितियों में हुई इसकी जांच कराई जाएगी। एफआईआर में जो भी तथ्य प्रकाश में आए हैं उसकी जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। किसी की लापरवाही मिलती है तो उस पर भी कार्रवाई होगी। प्रबंधक के मुताबिक इस मामले में आईजीआरएस के जरिए 6 नवंबर 2023 को शिकायत दर्ज कराई गई। इसकी जांच चौकी प्रभारी जूही ने की। उन्होंने रिपोर्ट में कहा कि प्रकरण जिला विद्यालय निरीक्षक से संबंधित है। उनके जरिए जांच कर तहरीर दिए जाने पर कार्रवाई की जा सकती है। प्रभा त्रिपाठी यूपी बोर्ड सचिव के पद पर दो बार कार्यरत रहीं हैं। पहला कार्यकाल 7 नवंबर 2007 से 23 फरवरी 2012 तक का रहा। इसके बाद शकुंतला यादव के यूपी बोर्ड सचिव पद से हटने के बाद शासन ने 11 नवंबर 2014 को प्रभा त्रिपाठी को दोबारा सचिव नियुक्त किया था। बोर्ड परीक्षा की तैयारियों के बीच उनके अस्वस्थ होने के बाद शासन ने निदेशक स्तर के अधिकारी अमरनाथ वर्मा को अतिरिक्त प्रभार के रूप में बोर्ड का कार्यभार सौंपा था।