दो रुपये में चैलेंज वोट... टेंडर बैलेट से, टेस्ट वोट तो दोबारा मौका
लखनऊ। मतदान के दिन किसी प्रत्याशी का एजेंट जुबानी ही किसी मतदाता के नाम या पहचान पर सवाल खड़ा नहीं कर सकेगा। इसके लिए उसे दो रुपये जमा कर वोट पर आपत्ति (चैलेंज) करनी होगी। पीठासीन अधिकारी दो रुपये की रसीद देगा और तत्काल जांच करेगा।
यदि मतदाता सही है तो उसे ईवीएम से वोट की अनुमति दे दी जाएगी। यदि वह फर्जी है तो उसे प्रारूप-20 की रिपोर्ट के साथ तत्काल थानाध्यक्ष को कानूनी कार्रवाई के लिए सौंप दिया जाएगा। आपत्ति सही पाए जाने पर एजेंट को दो रुपये वापस कर दिए जाएंगे।
आमतौर पर चुनावों में फर्जी वोटिंग को लेकर काफी शिकायतें आती हैं। इसी तरह अनुपस्थित, स्थानांतरित व मृत सूची में दर्ज मतदाता भी कई बार वोट डालने पहुंच जाते हैं, जिसको लेकर विवाद होता है।
ईवीएम से वोट पर वीवीपैट से निकलने वाली पर्ची से जुड़ी शिकायतें समेत कई विवाद आते हैं। ऐसे में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने मतदान के दिन की विशेष परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए विस्तृत गाइडलाइन तय की है।
राज्य के संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष शुक्ल ने प्रदेश के समस्त जिला निर्वाचन अधिकारियों को ये दिशानिर्देश भेजे हैं। आम चुनाव से पहले पीठासीन अधिकारियों को प्रशिक्षण में इसकी जानकारी दी जाएगी।
मतदाता वोट डालने आया और मतदाता रजिस्टर पर हस्ताक्षर किया। इसके बाद मत देने से मना कर दिया। ऐसी परिस्थिति में उसे मत देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। पीठासीन अधिकारी मतदाता रजिस्टर में उसकी प्रविष्टि के सामने मत रिकॉर्ड नहीं करने का विनिश्चय दर्ज किया जाएगा। इस प्रविष्टि पर मतदाता व पीठासीन अधिकारी दोनों ही हस्ताक्षर करेंगे।
पीठासीन अधिकारी को मतदेय स्थल वार अनुपस्थित, स्थानांतरित व मृत मतदाताओं की सूची दी जाती है। इसमें दर्ज मतदाता यदि वोट डालने आते हैं तो उन्हें मना नहीं किया जाएगा। पीठासीन अधिकारी ऐसे मतदाता से मतदाता पहचान पत्र या अन्य वैकल्पिक फोटो पहचान पत्र लेगा और स्वयं सत्यापन करेगा।
प्रथम मतदान अधिकारी ऐसे मतदाता का नाम मतदान अभिकर्ताओं को जोर से पढ़कर सुनाएगा। मतदाता से मतदाता रजिस्टर में हस्ताक्षर व अंगूठे का निशान लिया जाएगा। एक तय प्रारूप पर घोषणापत्र भी लिया जाएगा। फिर उसे वोट की अनुमति दे दी जाएगी।
यदि मतदाता वोट डालने आया और रजिस्टर में हस्ताक्षर कर दिया। इसके बाद गोपनीयता भंग किया या मतदान प्रक्रिया का उल्लंघन किया तो उसे वोट डालने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पीठासीन अधिकारी रिमार्क कॉलम के आगे ‘मत डालने की अनुमति नहीं दी गई-मतदान प्रक्रिया को भंग किया गया’, दर्ज करेंगे।