रिपोर्ट-वेद प्रकाश सिंह ‘लल्ला’
आजमगढ़। ऐतिहासिक गुरुद्वारा चरण पादुका साहिब में शुक्रवार को प्रातः 9 बजे गुरुद्वारा दरबार साहिब एवं गुरुद्वारा गुरु नानक घाट पर श्री अखंड पाठ साहिब के प्रारंभ के साथ गुरमत समागम, सालाना जोड़ मेले का प्रारंभ हो गया, जिसमें शामिल होने के लिए उत्तरांचल से सरदार प्रीतम सिंह सुंदर कौर, राजविंदर सिंह, मनमोहन सिंह, शैलेंद्र सिंह, बलजीत सिंह, कटिहार सिंह, चरंदीप सिंह आदि पहुंच चुके हैं। आई हुई संगतों ने आज सुबह ही स्नान के बाद दरबार साहिब में मत्था टेककर गुरु घर की सेवा में लग गए। गुरुद्वारा के ग्रंथि बाबा सतनाम सिंह ने बताया कि बाहर से आई संगतों के रुकने के लिए दीवान हाल नानक घाट पर प्रबंध किए गए हैं बाबा सतनाम सिंह ने बताया कि आयी हुई संगतों के लिए चाय पकौड़े मीठा शरबत, लंगर की व्यवस्था संगतों ने स्वयं संभाल लिया है। गुरुद्वारा प्रशासन के साथ ही स्थानीय प्रशासन उपजिलाधिकारी संत रंजन, तहसीलदार शैलेंद्र कुमार सिंह, थानाध्यक्ष निजामाबाद सच्चिदानंद यादव, क्षेत्राधिकारी सदर के नेतृत्व में पूरे मेले की व्यवस्था का निरीक्षण कर अधिकारियों ने बताया कि 29 से 31 मार्च तक नगर में चार पहिया वाहनों का प्रवेश वर्जित रहेगा, जो संगते अपने वाहनों से आएंगी, उनके चार पहिया वाहन नगर के बाहर निर्धारित स्थानों पर खड़े कर दिए जाएंगे। इस दौरान सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस का व्यापक प्रबंध है। गुरुद्वारा को आकर्षक साज सज्जा, रंग रोगन के साथ मनमोहक बना दिया गया है। गुरुद्वारा की सेवा संभाल रहे आगरा के संत बाबा प्रीतम सिंह गुरु का ताल आगरा भी इस ऐतिहासिक स्थान पर पधार चुके हैं। कार्यक्रम के समापन 31 मार्च तक वह गुरुद्वारा चरण पादुका साहिब में रहेंगे और अपने वचनों द्वारा आई हुई संगतो को निहाल करेंगे, पूरे पूर्वांचल के साथ ही अन्य प्रांतों से भी भारी संख्या में सिख संगतो का यहां आना शुरू हो गया हो गया है। इसी क्रम में 30 मार्च को नगर कीर्तन के साथ ही आगरा से आए रंजीत अखाड़े के सिंहों द्वारा प्राचीन अश्त्र शस्त्र कला कौशल का गटका पार्टी द्वारा पूरे नगर में जगह-जगह प्रदर्शन किया जाएगा। 31 मार्च को दीवान हाल सजेगा जहाँ गुरु ग्रंथ साहिब की स्थापना एवं रागी जत्थों द्वारा भजन कीर्तन से आई हुई संगत को निहाल किया जाएगा। इसी के साथ ही 29 मार्च से ही गुरु का लंगर गुरुद्वारा प्रांगण में अटूट चलना प्रारंभ हो गया है, जिसमें संगते पहुंचकर सेवा भी कर रही हैं और प्रसाद के रूप में लंगर छककर निहाल हो रहे हैं। इस गुरमत समागम को देखने के बाद यही महसूस होता है कि धरती पर सेवा भाव देखना हो तो सिख सिख लें इनके अंदर बहुत ही सेवा भाव है जो बिना भेदभाव के सबके साथ बराबर के भाव के साथ बेहिचक करते हैं सभी एक ही पंगत में सभी संगत छोटा हो या बड़ा लंगर छकते हैं और यहां से विदा लेते समय जो बोले सो निहाल के नारे के साथ पुनः आने के वादे के साथ अपने गंतब्य को प्रस्थान करते रहते हैं।