10 मिनट तक गिरते रहे ओले, हर तरफ दिखी सफेद चादर
शाहजहांपुर। यूपी के शाहजहांपुर जिले में अचानक ओले गिरने लगे। जलालाबाद और सदर तहसील सहित कई क्षेत्रों में हुई इस ओलावृष्टि से अफीम और गेहूं की फसल को भारी क्षति हुई है। रविवार की सुबह साढ़े छह बजे अचानक शुरू हुई ये ओलावृष्टि 10 मिनट तक लगातार होती रही। ओले काफी बड़े-बड़े थे। घर, बाहर, खेत हर जगह सफेद चादर सी बिछी नज़र आने लगी। जलालाबाद और सदर तहसील क्षेत्र के दौलतपुर, लेही, चमरपुरा, भैस्टा जिराऊ आदि गांवों में ओलावृष्टि से काफी नुकसान की सूचना आ रही है। बताया जा रहा है कि गेहूं के साथ क्षेत्र के दौलतपुर गांव में हो रही अफीम की खेती को भारी नुकसान पहुंचा है। अफीम की फसल में इस समय ढिकिया बन रही है जो ओले पड़ने के चलते फट गई है। शाहजहांपुर में शनिवार को भी झमाझम बारिश हुई थी। यहां शुक्रवार दोपहर से मौसम ने करवट ली थी। रात में बूंदाबांदी हुई। शनिवार सुबह से लगातार बूंदाबांदी कभी तेज हुई तो कभी धीमी हुई। दक्षिण-पूर्वी हवा का रुख रहा। बारिश और तेज हवा के कारण अधिकतम तापमान में शुक्रवार की अपेक्षा शनिवार को 9.5 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 29.5 डिग्री था, शनिवार को अधिकतम तापमान 20 डिग्री रिकार्ड किया गया। न्यूनतम तापमान में प्वाइंट 6 डिग्री की बढ़ोतरी दर्ज की गई। बारिश और हवा के कारण गेहूं की फसल खेतों में पलट गई है, इससे उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना है। बताया कि शनिवार को 5.6 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई है। शाहजहांपुर स्थित गन्ना शोध परिषद के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डा. मनमोहन सिंह ने बताया कि शुक्रवार से मौसम पलटने के बाद बारिश हुई है, ठंडी दक्षिणी-पूर्वी हवा चली है, इस कारण गेहूं की फसल पलट गई है। उन्होंने बताया कि अनुमान है कि रविवार को पूरा दिन बारिश का माहौल बना रहेगा। सोमवार सुबह तक बूंदाबांदी की संभावना है। उन्होंने इस बात का अंदेशा जताया कि ओलावृष्टि भी हो सकती है, इसकी सबसे ज्यादा संभावना कलान, मिर्जापुर, अल्हागंज क्षेत्र में है। उन्होंने बताया कि 5 मार्च से मौसम साफ होने लगेगा, ऐसा अनुमान है। बताया कि 7 मार्च से अधिकतम और न्यूनतम तापमान में तेजी के साथ बढ़ोतरी हो सकती है। बारिश में आम के बौर में भी असर हुआ तेज हवा बारिश में आम के पेड़ में निकल रहे बौर में असर हुआ है, तेज हवा बारिश में आम के बौर में निकल रहे फूल करीब 15 फीसदी गिर गए हैं, जिससे आम की फसल में उत्पादन कम होने के आसार रहेंगे।