उप्र में धरे रह गए दावे

Youth India Times
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चंद सीटों पर सिमटा इन छोटे दलों का दायरा


लखनऊ। जाति विशेष की राजनीति से यूपी की राजनीति में सक्रियता दिखाने वाली पार्टियां चुनाव शुरू होने के साथ ही एक-दो जिलों अथवा एक-दो सीटों के छोटे दायरे में सिमट कर रह गई हैं। इस खास पाकेट के पॉकेट के बाहर इनकी कोई गतिविधि नजर नहीं आ रही है। गठबंधन के तहत मिली इक्का-दुक्का सीटों पर ही इन दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है, जबकि इनके दावों को देखें तो सभी दल यह बताते हैं कि उनके दल का व्यापक जनाधार पूरे प्रदेश में है। ऐसे तीन प्रमुख दल इस समय भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं। इनमें से अपना दल (सोनेलाल) को दो तथा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को भाजपा ने एक सीट पर अपने सिंबल पर प्रत्याशी उतारने का मौका दिया है। निषाद पार्टी को सिंबल पर चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया है। निषाद पार्टी को सिंबल पर चुनाव लड़ने के लिए कोई सीट नहीं मिली है। 
भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी और 2022 विधानसभा चुनाव के बाद राज्य स्तरीय दल का दर्जा हासिल करने वाली पार्टी अपना दल (सोनेलाल) का दावा है कि प्रदेश की कुर्मी जाति बहुल 31 सीटों पर पार्टी का असर है। पूर्वांचल, मध्य यूपी और बुंदेलखंड में यह दल अपना बड़ा आधार बताता है। कुर्मी बिरादरी यूपी में पटेल, वर्मा, सचान, कटियार, गंगवार, चौधरी, सिंह आदि उपनाम लगाती है। दल के नेताओं का दावा है कि यूपी में इनकी आबादी 8 से 10 फीसदी तक है। मौजूदा समय में इस दल के दो सांसद हैं। इस चुनाव में भी भाजपा ने गठबंधन के तहत इस दल को दो सीटें दी है। दल को इस बार भी मिर्जापुर और राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट ही मिली हैं। इस दल ने अपनी पूरी ताकत इन्हीं दो सीटों पर लगा रखी है। इसके बाहर ये कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव में पहली बार एनडीए का हिस्सा बने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) का दावा है कि 28 सीटों पर उनकी बिरादरी की तादाद निर्णायक स्थिति में है। इनमें से अधिकांश सीटें पूर्वांचल व मध्य यूपी में हैं। यूपी में राजभर बिरादरी के लोग राजभर के अलावा भारद्वाज, रजवार, राजवंशी आदि उपनाम लिखते हैं। दल का दावा है कि पूर्वांचल में आबादी 18 से 20 फीसदी उनके समाज से है। भाजपा ने इस दल को घोसी लोकसभा अपने सिंबल पर लड़ने का मौका दिया है। पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर सहित सभी नेता इस समय घोसी और गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में ही पूरी सक्रियता दिखा रहे हैं। तीसरी सहयोगी निषाद पार्टी गंगा, यमुना, सरयू आदि के किनारे की सभी लोकसभा क्षेत्रों में बिरादरी के व्यापक जनाधार का दावा करती है। यह पार्टी मझवार बिरादरी की राजनीति करती है। यूपी में इस बिरादरी के लोग निषाद, बिंद, कश्यप आदि लगाते हैं। दल के नेता तो 30 लोकसभा सीटों पर व्यापक जनाधार और आबादी 8 से 10 फीसदी बताते हैं। इस चुनाव में निषाद पार्टी के सिंबल से सीधे कोई प्रत्याशी नहीं है। दल के अध्यक्ष डा. संजय निषाद के सांसद पुत्र प्रवीण निषाद को भाजपा ने अपने सिंबल पर संतकबीरनगर से प्रत्याशी बनाया है। इस दल ने सारी गतिविधियां गोरखपुर और संतकबीरनगर तक सीमित रखा है। तीनों दलों के नेता अपने पाकेट से बाहर तभी निकलते हैं, जब भाजपा द्वारा किसी कार्यक्रम में उन्हें बुलाया जाता है। माना जा रहा है कि चुनाव प्रचार जब मध्य यूपी और पूर्वांचल में जोर पकड़ेगा, उस समय होने वाली बड़ी रैलियों में भाजपा के मंच पर इन दलों के नेताओं को बुलाया जाएगा।

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